केंद्र सरकार ने छोटे व्यवसायों के लिए बिना गारंटी वाले मुद्रा ऋण योजना की अधिकतम सीमा को दोगुना कर ₹20 लाख कर दिया है। इस नई सीमा को ‘तरुण प्लस’ नामक एक नई श्रेणी में उन अनुशासित उद्यमियों के लिए जोड़ा गया है, जिन्होंने पहले इस सुविधा का लाभ उठाया और समय पर ऋण चुकाया। केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
वित्त मंत्रालय के अनुसार, “यह वृद्धि विशेष रूप से आगामी उद्यमियों के विकास और विस्तार को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई है। यह कदम सरकार की एक मजबूत उद्यमशीलता पारिस्थितिकी तंत्र को सुदृढ़ करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।”
प्रधामंत्री मुद्रा योजना (PMMY), जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 अप्रैल 2015 को शुरू किया था, के तहत अब लाभार्थियों की श्रेणियों को तीन से बढ़ाकर चार कर दिया जाएगा। अब इन चार श्रेणियों में ‘शिशु’ (₹50,000 तक का ऋण), ‘किशोर’ (₹50,000 से ऊपर और ₹5 लाख तक का ऋण), ‘तरुण’ (₹5 लाख से ऊपर और ₹10 लाख तक का ऋण), और ‘तरुण प्लस’ (₹10 लाख से ऊपर और ₹20 लाख तक का ऋण) शामिल हैं। ये श्रेणियाँ लाभार्थी सूक्ष्म इकाई की विकास स्थिति और वित्तीय आवश्यकताओं का संकेत देती हैं तथा अगले विकास चरण के लिए एक संदर्भ बिंदु भी प्रदान करती हैं।
यह निर्णय केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 23 जुलाई 2024 को बजट घोषणा के अनुरूप लिया गया है। सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा था, “उन उद्यमियों के लिए, जिन्होंने पहले ‘तरुण’ श्रेणी के तहत ऋण प्राप्त किया और उसे सफलतापूर्वक चुकाया, मुद्रा ऋण की सीमा ₹10 लाख से बढ़ाकर ₹20 लाख कर दी जाएगी।”
सरकार के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2023-24 में PMMY के तहत 6,67,77,013 ऋण स्वीकृत किए गए, जिनकी कुल राशि ₹5,41,012.86 करोड़ थी। इस अवधि में ₹5,32,358.35 करोड़ का वितरण किया गया। मुद्रा पोर्टल पर अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, योजना के आरंभ से लेकर जून 2024 तक 48.78 करोड़ से अधिक ऋण, जो कुल ₹29.79 लाख करोड़ हैं, स्वीकृत किए गए हैं।
वित्त मंत्रालय के बयान के अनुसार, “यह वृद्धि मुद्रा योजना के समग्र उद्देश्य ‘अवित्त पोषितों को वित्त पोषण’ को और मजबूत करने की आकांक्षा को दर्शाती है। PMMY ऋणों के लिए ₹20 लाख तक की गारंटी कवर सूक्ष्म इकाइयों के लिए क्रेडिट गारंटी फंड (CGFMU) के तहत प्रदान की जाती है। ऋण सदस्य ऋणदाता संस्थाओं (MLIs) जैसे अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों (SCBs), गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs), और माइक्रोफाइनेंस संस्थानों (MFIs) द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
योजना के अनुसार, पात्र उधारकर्ता वे नए या मौजूदा सूक्ष्म इकाइयाँ या उद्यम हैं जो पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं। “इसमें स्वयं सहायता समूह (SHGs) भी शामिल हैं, जो निधि द्वारा निर्धारित पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं और जिनका ऋण ₹10 लाख से अधिक और ₹20 लाख तक है,” बयान में कहा गया।
वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, “ऐसा कोई भी व्यक्ति, जो अन्यथा ऋण लेने के लिए पात्र है और छोटे व्यवसाय उद्यम के लिए एक व्यावसायिक योजना रखता है, योजना के तहत विनिर्माण, व्यापार, सेवा क्षेत्र और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए आय सृजन के उद्देश्य से तीन ऋण श्रेणियों में से किसी में भी ऋण प्राप्त कर सकता है।”