भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने सोमवार को घोषणा की कि कोई विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) यदि किसी कंपनी में निर्धारित 10 प्रतिशत सीमा से अधिक निवेश करता है, तो उसे अपनी होल्डिंग्स को एफडीआई (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) के रूप में पुनर्वर्गीकृत करने या अपने हिस्से को बेचने का विकल्प दिया जाएगा।
अब तक, नियमों के अनुसार, किसी एफपीआई और उसके निवेशक समूह द्वारा किसी कंपनी के कुल चुकता इक्विटी पूंजी का 10 प्रतिशत से कम निवेश होना चाहिए। आरबीआई ने आज एफपीआई द्वारा किए गए विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को एफडीआई में पुनर्वर्गीकृत करने के लिए एक परिचालन ढांचा जारी किया है।
अगर कोई एफपीआई अपने पोर्टफोलियो निवेश को एफडीआई में बदलना चाहता है, तो उसे सरकार और संबंधित भारतीय निवेश प्राप्तकर्ता कंपनी से अनुमोदन लेना अनिवार्य होगा। आरबीआई के अनुसार, ये दिशा-निर्देश तुरंत प्रभाव से लागू होंगे।
हालांकि, पुनर्वर्गीकरण की यह सुविधा किसी ऐसे क्षेत्र में नहीं दी जाएगी जहां एफडीआई प्रतिबंधित है। एफपीआई को यह भी स्पष्ट करना होगा कि वह किसी कंपनी में अपने मौजूदा विदेशी पोर्टफोलियो निवेश को एफडीआई में पुनर्वर्गीकृत करना चाहता है और आवश्यक अनुमोदन व सहमति की प्रति प्रस्तुत करनी होगी।
आरबीआई ने यह भी कहा कि एक बार अगर अतिरिक्त एफपीआई को एफडीआई के रूप में मान लिया गया तो भविष्य में यह निवेश 10 प्रतिशत से कम भी हो जाए, फिर भी इसे एफडीआई के रूप में ही माना जाएगा।