भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), एचडीएफसी बैंक और आईसीआईसीआई बैंक को घरेलू सिस्टमिक महत्वपूर्ण बैंक (Domestic Systemically Important Banks – D-SIBs) घोषित किया है। यह सूची बुधवार को जारी की गई। इस सूची में शामिल होने के लिए बैंकों को अपनी पूंजी संरक्षण बफर के अतिरिक्त, उस श्रेणी के अनुसार उच्च कॉमन इक्विटी टियर 1 (CET1) बनाए रखना होगा, जिसमें उन्हें वर्गीकृत किया गया है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI), जो देश का सबसे बड़ा बैंक है, लगातार शीर्ष 4 की सूची में बना हुआ है। इस श्रेणी में बने रहने के लिए एसबीआई को 0.80 प्रतिशत अतिरिक्त CET1 बनाए रखना होगा। आरबीआई ने जुलाई 2014 में डी-एसआईबी से संबंधित एक रूपरेखा जारी की थी, जिसमें बैंकों को उनकी सिस्टमिक महत्वता के आधार पर अलग-अलग श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया।
एचडीएफसी बैंक, जो निजी क्षेत्र का सबसे बड़ा बैंक है, को श्रेणी 2 में रखा गया है। इस श्रेणी के अंतर्गत, एचडीएफसी बैंक को 0.40 प्रतिशत अतिरिक्त CET1 बनाए रखना होगा। आरबीआई के अनुसार, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर उच्च डी-एसआईबी अधिभार 1 अप्रैल, 2025 से लागू होगा। तब तक, यानी 31 मार्च, 2025 तक, एसबीआई और एचडीएफसी बैंक पर क्रमशः 0.60 प्रतिशत और 0.20 प्रतिशत का अधिभार लागू रहेगा।
आईसीआईसीआई बैंक को श्रेणी 1 में वर्गीकृत किया गया है, जिसके तहत इस दूसरे सबसे बड़े निजी बैंक को 0.20 प्रतिशत अतिरिक्त CET1 बफर बनाए रखना होगा।
आरबीआई ने कहा कि ये वर्गीकरण 31 मार्च, 2024 तक बैंकों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर किए गए हैं। आरबीआई ने पहली बार डी-एसआईबी से संबंधित रूपरेखा 2014 में जारी की थी और 2015 तथा 2016 में एसबीआई और आईसीआईसीआई बैंक को इस सूची में शामिल किया। 2017 में एचडीएफसी बैंक को भी इस सूची में जोड़ा गया।