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Wednesday, November 13, 2024
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शेयर बायबैक टैक्स नियमों में बदलाव से निवेशकों की कमाई पर गहरा असर

1 अक्टूबर से लागू हुए नए शेयर बायबैक टैक्स नियमों का असर निवेशकों के कर भुगतान और कंपनियों की पूंजी आवंटन रणनीति पर गहराई से पड़ने वाला है।

बजट 2024 में घोषित इन नियमों के तहत, बायबैक से मिलने वाली राशि को कंपनी के बजाए शेयरधारकों की आय में माना जाएगा और उनके व्यक्तिगत आयकर स्लैब दर पर कर लगाया जाएगा। इससे पहले, कंपनियाँ 23.296 प्रतिशत (20 प्रतिशत + 12 प्रतिशत + 4 प्रतिशत) बायबैक टैक्स का भुगतान करती थीं, जो अब शेयरधारकों पर स्थानांतरित हो गया है।

शेयरधारकों पर प्रभाव

बायबैक से प्राप्त राशि पर अब कर का बोझ शेयरधारकों के ऊपर होगा, और यह कर उनकी व्यक्तिगत आयकर दरों के आधार पर लगाया जाएगा। इससे शेयरधारकों की कर देनदारी बढ़ेगी, खासकर उच्च आय वर्ग के लोगों के लिए यह दर 30 प्रतिशत से अधिक भी हो सकती है। नतीजतन, बायबैक से मिलने वाला रिटर्न अब पहले से कम आकर्षक हो गया है। यह एक ऐसा बदलाव है जो निवेशकों के लिए बायबैक को कम लाभकारी बना सकता है, क्योंकि अब उन्हें टैक्स की मार झेलनी होगी।

क्या अब लाभांश बनेगा पसंदीदा विकल्प?

इन नए नियमों के कारण, निवेशक अब बायबैक के मुकाबले लाभांश को प्राथमिकता दे सकते हैं, क्योंकि यह नियमित आय का एक विश्वसनीय स्रोत है और बायबैक से अधिक पूर्वानुमान योग्य होता है। जो निवेशक बायबैक के जरिए टैक्स-कुशल रिटर्न प्राप्त करते थे, वे अब उन कंपनियों पर अधिक ध्यान दे सकते हैं जो नियमित लाभांश देती हैं। यह सवाल उठता है कि क्या सरकार का यह कदम वाकई शेयरधारकों के हित में है, या सिर्फ कर संग्रहण का नया तरीका?

कंपनियों की पूंजी कुशलता पर असर

कंपनियाँ अब बायबैक के लिए टैक्स देने के बजाए उस राशि का इस्तेमाल अधिक उत्पादक कार्यों में कर सकती हैं। इसके चलते कंपनियाँ विस्तार, अधिग्रहण, या नए उत्पाद विकास जैसी संभावनाओं में निवेश कर सकेंगी। साथ ही, अतिरिक्त नकदी को पुनर्निवेश करने से उनके वित्तीय स्वास्थ्य में सुधार होगा, जिससे उधारी की लागत कम हो सकती है।

रिटेनड अर्निंग्स और निवेशों पर ध्यान केंद्रित

बायबैक के प्रति आकर्षण कम होने के चलते कंपनियाँ अपनी अर्जित आय को नए निवेशों, तकनीकी उन्नयन या ऋण चुकाने जैसे उत्पादक कार्यों में लगा सकती हैं। यह बदलाव कंपनियों को दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता और समग्र प्रदर्शन में सुधार का अवसर दे सकता है। लेकिन प्रश्न यह उठता है कि क्या यह बदलाव वाकई दीर्घकाल में निवेशकों के लिए लाभकारी सिद्ध होगा, या सिर्फ एक और सरकारी नीतिगत जाल है जो कंपनियों और निवेशकों को कड़े विकल्पों में बांध देता है?

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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