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Wednesday, December 4, 2024
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अनियोजित खर्चों ने बिगाड़ा हरीश का वित्तीय संतुलन

“पैसा तो जैसे मुठ्ठी से रेत की तरह फिसल जाता है… कुछ भी बचा नहीं पाता।” हरीश (नाम बदला गया है) ने हमें पहली बार सलाहकार के रूप में जोड़ा तो यही कहा था।

तब हम समझ नहीं पाए कि वह ऐसा क्यों कह रहे हैं। हरीश एक कॉर्पोरेट नौकरी में अच्छा कमा रहे थे और हमारी सलाह पर नियमित निवेश भी कर रहे थे। लेकिन उनकी समस्या थी अनियोजित खर्च और अचानक उत्पन्न होने वाली नई समस्याएँ।

चार साल पहले की बात है, हरीश कोंकण की यात्रा पर गए थे। वहाँ एक नारियल के बाग के बीच स्थित एक घर ने उन्हें बहुत आकर्षित किया। समुद्र की ठंडी हवा, खूबसूरत समुद्र तट और शांत वातावरण ने शहर की भागदौड़ से अलग उन्हें एक नई दुनिया का एहसास कराया।

हरीश की मुलाकात वहाँ कुछ लोगों से हुई। उन्हें पता चला कि उस क्षेत्र में कुछ नए फ्लैट्स बनने वाले हैं। यह जानकर वह उत्साहित हो गए। साइट पर जाकर उन्हें वह जगह पहली ही नजर में भा गई। किसी सेल्समैन की जरूरत नहीं पड़ी; सिक्योरिटी गार्ड ने उन्हें एक फॉर्म दिया और एक नंबर दिया जिससे वह उपलब्धता की जानकारी ले सकते थे।

आवेग में लिया गया निर्णय

एक अनुभवी सेल्समैन ने जल्द ही हरीश से संपर्क किया और तुरंत ₹5 लाख का टोकन जमा करने की सलाह दी, ताकि वह एक यूनिट पक्की कर सकें। हरीश ने बिना सोचे-समझे यह रकम ट्रांसफर कर दी। कोंकण के इस प्रोजेक्ट की कीमत ₹1.75 करोड़ थी, जो उस इलाके के लिए काफी ज्यादा थी।

वापस लौटने पर हरीश ने उत्साहपूर्वक इस खरीदारी की चर्चा की। जब किसी ने सवाल उठाया तो उन्होंने बिल्डर की प्रतिष्ठा और गेटेड कम्युनिटी की सुविधाओं का हवाला दिया।

यह अनियोजित खर्च उनके वित्तीय संतुलन को बिगाड़ने वाला साबित हुआ। वास्तव में, पैसा उनके लिए मुठ्ठी की रेत जैसा साबित हो रहा था!

उम्मीदें और हकीकत का फर्क

30 महीने बाद प्रोजेक्ट पूरा हो गया। प्रॉपर्टी सुंदर थी लेकिन शहर से सात घंटे की दूरी पर थी। इस दूरी के कारण हरीश और उनका परिवार वहाँ केवल तीन-चार बार ही जा पाए।

एक बार वे अपने दोस्त सोनी के साथ एक हिल स्टेशन गए थे, जहाँ उन्होंने एक Air B&B में ठहराव किया। यह अनुभव शानदार था और खर्च भी कम हुआ। इसके बाद वे नॉर्थ ईस्ट गए और वहाँ के आठ दिनों का आनंद उठाया।

कोंकण के घर की यात्रा की संख्या धीरे-धीरे घटती गई। इस साल वे केवल एक बार ही वहाँ गए। अब हरीश इस घर के बारे में बात नहीं करते और इसे बेचने के लिए भी तैयार हैं। लेकिन इलाके में कई और प्रोजेक्ट्स आने के कारण खरीदार नहीं मिल रहे।

अनियोजित लक्ष्य और वित्तीय झटके

हरीश की नई योजना है अपने बच्चों को विदेश में पढ़ाई के लिए भेजना। प्रत्येक बच्चे के लिए यह खर्च ₹50-60 लाख प्रति वर्ष है। चार साल के ग्रेजुएशन के लिए यह खर्च ₹2-2.4 करोड़ तक पहुँच जाएगा। यदि पोस्ट-ग्रेजुएशन भी विदेश में कराना हुआ तो यह अतिरिक्त होगा।

हरीश ने सब कुछ ध्यान से सुना, लेकिन स्पष्ट कर दिया कि यह निर्णय अंतिम है। वे अन्य खर्चों में कटौती के लिए तैयार हैं।

यदि दोनों बच्चों को विदेश भेजा गया तो कुल खर्च ₹4.5-5 करोड़ होगा। हमने हरीश को यह बात समझाई और पुनः योजना बनाने की सलाह दी।

वित्तीय योजना में स्थिरता का महत्व

बिना पूर्व सूचना के वित्तीय लक्ष्यों को बदलना, समुद्र में जहाज की दिशा बदलने जैसा है। इससे यात्रा की दिशा, समय और साधन सब बदल जाते हैं। इसलिए, पहले लक्ष्यों को स्पष्ट करना और वित्तीय योजना पर टिके रहना ही सही तरीका है।

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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