वरिष्ठ नौकरशाह तुहिन कांता पांडे को वित्त सचिव के रूप में नियुक्त किया गया है। शनिवार को जारी एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, पांडे को इस पद पर नियुक्त किया गया।
1987 बैच के ओडिशा कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी तुहिन कांता पांडे वर्तमान में निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) के सचिव के रूप में कार्यरत हैं।
मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने पांडे को वित्त सचिव के रूप में नामित करने की मंजूरी दी है, यह जानकारी कार्मिक मंत्रालय द्वारा जारी आदेश में दी गई।
यह पद तब खाली हुआ जब पिछले महीने टी वी सोमनाथन को कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया था। परंपरा के अनुसार, केंद्रीय वित्त मंत्रालय में सबसे वरिष्ठ सचिव को वित्त सचिव के रूप में नामित किया जाता है।
अब सवाल ये उठता है कि क्या केवल वरिष्ठता ही वित्त सचिव बनने के लिए पर्याप्त है? या फिर सरकार को देश की वित्तीय स्थिति के मद्देनज़र अनुभव और निष्पक्षता पर भी ध्यान देना चाहिए था? तुहिन कांता पांडे के पास DIPAM का अनुभव तो है, लेकिन क्या यह उन्हें देश की आर्थिक नीतियों के संचालन के लिए उपयुक्त बनाता है? या फिर ये भी बस एक और औपचारिकता बनकर रह जाएगी?