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Friday, September 20, 2024
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क्या बीमा प्रीमियम पर जीएसटी कटौती से ग्राहकों को मिलेगी राहत?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में जीएसटी काउंसिल सोमवार को एक अहम बैठक करने जा रही है, जिसमें कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जाएगी। मुख्य रूप से 18% जीएसटी को स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर कम करने पर जोर रहेगा।

हालांकि, कर भार कम करने के लिए समर्थन बढ़ रहा है, लेकिन यह चिंता बनी हुई है कि क्या इसका लाभ वास्तव में पॉलिसीधारकों तक पहुंचेगा, या फिर बीमा कंपनियां इसे अपने पास ही रख लेंगी।

एक बड़ी चिंता यह है कि भले ही जीएसटी में कटौती हो, बीमा कंपनियां वित्तीय लाभ को अपने पास रख सकती हैं और ग्राहकों तक इसका लाभ नहीं पहुंचेगा। कोविड के बाद कंपनियों ने दावे बढ़ने का हवाला देते हुए प्रीमियम में इजाफा किया है, और कई राज्य मंत्रियों को आशंका है कि जीएसटी में कटौती के बाद भी यह प्रथा जारी रह सकती है। अब जब लाभ-रोधी कानून सक्रिय नहीं हैं, तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि कर में कटौती का फायदा ग्राहकों तक पहुंचेगा।

चर्चा के अंतर्गत एक प्रस्ताव यह भी है कि वार्षिक प्रीमियम ₹50,000 से ₹60,000 के बीच वाले बीमा पॉलिसियों पर कर राहत दी जाए। हालांकि, यह अधिकांश मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए अधिक लाभकारी साबित नहीं हो सकता।

आमतौर पर एक चार सदस्यीय परिवार के लिए ₹15 लाख के कवर वाली स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी के लिए लगभग ₹50,000 का प्रीमियम देना पड़ता है, जो कि गंभीर बीमारी के मामले में अभी भी अपर्याप्त साबित हो सकता है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए, उम्र और स्वास्थ्य जोखिमों के चलते प्रीमियम और भी अधिक होते हैं, जिससे व्यापक राहत की आवश्यकता महसूस होती है।

इसके अलावा, ऐसे कर लाभों की सीमा तय करने से जीएसटी प्रणाली में जटिलताएं उत्पन्न हो सकती हैं, जिसका उद्देश्य शुरू से कराधान को सरल बनाना था। नई कटऑफ की स्थापना से वह जटिलताएं फिर से उत्पन्न हो सकती हैं, जिन्हें जीएसटी प्रणाली शुरू में खत्म करने के लिए बनाई गई थी।

राज्य सरकारें भी स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी कटौती से होने वाले राजस्व घाटे को लेकर चिंतित हैं। पिछले वित्तीय वर्ष में केवल स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम से ही ₹8,200 करोड़ से अधिक का राजस्व एकत्र हुआ था, जिसमें राज्यों को आधा राजस्व प्राप्त हुआ।

कर कटौती से राजस्व में काफी कमी हो सकती है, विशेषकर जब से राज्यों को जीएसटी राजस्व हानि की भरपाई के लिए केंद्र से कोई मुआवजा नहीं मिल रहा है।

काउंसिल ऑनलाइन गेमिंग पर हाल ही में लागू किए गए 28% जीएसटी के प्रभाव की भी समीक्षा करेगी और फर्जी जीएसटी पंजीकरणों के खिलाफ अपनी कोशिशें जारी रखेगी, जिसमें पहले से ही ₹24,000 करोड़ से अधिक की संभावित कर चोरी का खुलासा हो चुका है।

जैसे-जैसे काउंसिल इन मुद्दों पर विचार करेगी, चुनौती यह बनी रहेगी कि किसी भी कर कटौती का लाभ उपभोक्ताओं को मिले, न कि कंपनियों द्वारा इसे हड़प लिया जाए, साथ ही राज्यों के स्तर पर राजस्व की सुरक्षा का संतुलन भी बनाए रखा जाए।

लेकिन असली सवाल यह है कि क्या बीमा कंपनियां इस जीएसटी कटौती का कोई फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का इरादा रखती भी हैं? कोविड के बाद जैसे प्रीमियम में धड़ल्ले से बढ़ोतरी की गई, क्या बीमा कंपनियों की मंशा वाकई में ‘ग्राहक हित’ में है, या फिर यह सिर्फ उनके मुनाफे की होड़ का हिस्सा है? आखिरकार, आम आदमी कब तक इन बढ़ते प्रीमियमों और नियमों की जटिलताओं में उलझा रहेगा?

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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