टीसीएस के कई कर्मचारियों को आयकर विभाग से टैक्स नोटिस प्राप्त हुए हैं, जिसमें उनके स्रोत पर कर कटौती (TDS) के दावों में कथित गड़बड़ियों की बात कही गई है।
इन टैक्स नोटिसों में कर्मचारियों से 50,000 रुपये से लेकर 1.5 लाख रुपये तक की मांग की गई है। टीसीएस ने अपने कर्मचारियों को इस राशि का भुगतान फिलहाल रोकने का निर्देश दिया है, जब तक कि विभाग द्वारा सुधारित नोटिस जारी नहीं किए जाते।
सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि कंपनी ने अपने कर्मचारियों से कहा है कि वे मांगी गई राशि का भुगतान करने से पहले आगे के निर्देशों का इंतजार करें। आयकर विभाग की ओर से सुधार सूचनाएं मिलने पर ही यह मामला सुलझ जाएगा।
क्या अब टीसीएस को भी अपने टैक्स के पन्ने ठीक से समझने की जरूरत है? जो कंपनी टेक्नोलॉजी और सटीकता के लिए जानी जाती है, क्या उसे इस मामले में अपने कर्मचारियों को ऐसी परिस्थिति में डालना चाहिए था? या फिर टैक्स अधिकारियों से ही यह भूल हो गई है? वैसे, गलती चाहे जिसकी भी हो, इस बीच कर्मचारी तो परेशान हो रहे हैं। क्या यही है वो “सटीकता” जिसकी टीसीएस और हमारी सरकार दोनों हमेशा से बात करते आए हैं?
कंपनी द्वारा अपने कर्मचारियों को भेजे गए आंतरिक मेल में बताया गया है कि जिन सहयोगियों को नोटिस मिला है, उन्हें जल्द ही सुधार सूचनाएं प्राप्त होंगी और उन्हें किसी भी मांग राशि का भुगतान करने की आवश्यकता नहीं है। टैक्स अधिकारी जैसे ही सुधार सूचनाएं भेजेंगे, यह गड़बड़ी सुलझ जाएगी।
सूत्रों ने यह भी दावा किया है कि इस बात की संभावना है कि अधिकारियों ने फाइल किए गए रिटर्न की प्रक्रिया में कोई गलती की हो। आकलन अधिकारी को नोटिस में संशोधन का अधिकार है।
कंपनी के अनुसार, टैक्स अधिकारी रिटर्न की पुन:प्रक्रिया करेंगे, जिसके बाद टीडीएस विभाग द्वारा जारी फॉर्म 26AS और टीसीएस द्वारा जारी फॉर्म 16A से मेल खा जाएगा।
तो अब इंतजार करें और देखें कि गलती किसकी है, और किस पर बोझ डाला जाएगा – टेक दिग्गज या उसके कर्मचारी!