17 सितंबर 2024 को, पूरे भारत में जियो उपयोगकर्ताओं को अचानक नेटवर्क बाधा का सामना करना पड़ा, जिसके चलते सोशल मीडिया पर व्यापक शिकायतें देखी गईं। मंगलवार सुबह से ही कई उपयोगकर्ताओं ने मोबाइल कनेक्टिविटी और इंटरनेट सेवाओं में समस्याओं की रिपोर्ट करना शुरू कर दिया था। Downdetector, जो सेवा रुकावटों पर नज़र रखती है, के अनुसार दोपहर तक शिकायतों की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई थी।
Downdetector के आंकड़ों के अनुसार, दोपहर 12:08 बजे तक लगभग 10,522 उपयोगकर्ताओं ने नेटवर्क समस्याओं की सूचना दी थी। रिपोर्ट्स के अनुसार, 65% उपयोगकर्ताओं को ‘कोई सिग्नल नहीं’ समस्या का सामना करना पड़ा, 19% उपयोगकर्ता मोबाइल इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या से जूझ रहे थे, और 16% ने जियो फाइबर सेवाओं में दिक्कत की रिपोर्ट की। इसके विपरीत, अन्य प्रमुख दूरसंचार ऑपरेटर जैसे एयरटेल, वोडाफोन आइडिया, और बीएसएनएल की सेवाएं सुचारू रूप से चल रही थीं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाओं की बाढ़ नेटवर्क बाधा के चलते, सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर शिकायतों की बाढ़ आ गई। #JioDown हैशटैग ट्रेंड करने लगा, और देश के विभिन्न हिस्सों से उपयोगकर्ताओं ने अपनी परेशानियां साझा कीं। शिकायतों के साथ-साथ, कई उपयोगकर्ताओं ने इस असुविधाजनक स्थिति में हास्यपूर्ण मीम्स और चुटकुले साझा कर माहौल को हल्का किया।
“मुंबईकर कृपया अपने जियो नेटवर्क की स्थिति अपडेट करें #JioDown?” एक उपयोगकर्ता ने X पर पोस्ट किया।
“जियो सेवा IDC (डेटा सेंटर) में आग के कारण ठप हो गई है #JioDown #DataCenter #ServerDown,” एक अन्य उपयोगकर्ता ने X पर पोस्ट किया।
अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं इस रिपोर्ट के समय तक, जियो ने इस बाधा पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। रुकावट का कारण स्पष्ट नहीं है, लेकिन उपयोगकर्ता जल्दी समाधान की उम्मीद कर रहे हैं। इस बीच, सोशल मीडिया पोस्ट्स और आउटेज रिपोर्ट्स की भारी मात्रा इस समस्या के व्यापक स्तर का संकेत देती है।
देशभर में सेवाएं पूरी तरह से बहाल होने का इंतजार करते हुए, जियो उपयोगकर्ता सोशल मीडिया पर लगातार अपडेट्स, मीम्स और इस अप्रत्याशित नेटवर्क बाधा पर प्रतिक्रियाएं साझा कर रहे हैं।
अब सवाल ये उठता है कि क्या जियो जैसी बड़ी कंपनी इतनी बेसिक नेटवर्क समस्याओं के लिए तैयार नहीं थी? अगर आग IDC में थी, तो बैकअप क्या सिर्फ विज्ञापन बनाने के लिए था? या फिर ये वही ‘फ्री’ इंटरनेट की सच्चाई है, जिसका खामियाजा अब जनता भुगत रही है? जवाब देना तो बनता है, जियो!