अरबपति गौतम अदाणी द्वारा केन्या के मुख्य हवाई अड्डे का संचालन करने का प्रस्ताव भारी विरोध, सीनेट सुनवाई और अदालती मामलों में उलझ गया है। यह विवाद उस समय गहराया जब अदाणी समूह ने पूर्वी अफ्रीका में उच्च वोल्टेज पावर ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए एक समझौता भी हासिल किया है।
अदाणी के बिना अनुरोध किए गए प्रस्ताव को लेकर अदालत पहले ही जॉमो केन्याटा अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के प्रस्ताव पर रोक लगा चुकी है, जबकि हवाई अड्डे पर हड़ताल और विपक्षी सांसदों की आलोचनाओं ने सरकार को इस विवादास्पद डील का बचाव करने पर मजबूर कर दिया है। यह उस समय सामने आया है जब अदाणी के $203 बिलियन साम्राज्य पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के तहत स्विट्जरलैंड में जांच हो रही है, जिसे समूह ने खारिज किया है।
“सरकार की मिलीभगत पर सवाल”
विपक्षी नेता और ओरेंज डेमोक्रेटिक मूवमेंट के प्रमुख गवर्नर अनयंग न्योंगो ने कहा, “शुरू से ही, सरकार अदाणी डील से जुड़ी जानकारी को जनता से छिपाने का काम कर रही है।” उन्होंने आगे कहा कि पारदर्शिता की कमी और औपचारिक संस्थागत तंत्रों की उपेक्षा के चलते यह डील केन्या के इतिहास में एक और बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रही है।
अदाणी को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी के रूप में देखा जाता है, और इसे भारत के अफ्रीका में चीन के प्रभाव को टक्कर देने के प्रयास के रूप में भी देखा जा रहा है। अदाणी समूह ने कहा कि उनके प्रस्ताव कानूनन सभी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए दिए गए हैं।
अदाणी समूह ने अपने स्पष्टीकरण में कहा, “जबकि कोई अनुबंध अब तक नहीं हुआ है, दोनों प्रस्ताव—हवाई अड्डे और पावर ट्रांसमिशन से संबंधित—सरकार के सार्वजनिक-निजी भागीदारी अधिनियम, 2021 के अनुसार जमा किए गए हैं। अदाणी एक कानून का पालन करने वाली कंपनी है और हम हर क्षेत्राधिकार में सभी नियमों और नीतियों का पूरी तरह से अनुपालन करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
मुकदमे और सुनवाई
सितंबर की शुरुआत में जब इस डील की जानकारी सामने आई, तब हवाई अड्डे के कर्मचारियों ने अपनी नौकरी जाने के डर से हड़ताल कर दी, जिससे यात्री फंस गए। इसी बीच, केन्या की एक उच्च अदालत ने अदाणी एयरपोर्ट होल्डिंग्स लिमिटेड को 30 साल के लिए हवाई अड्डे का संचालन करने से रोकने के लिए अस्थायी रूप से इस परियोजना पर रोक लगा दी। इस मुकदमे को केन्या मानवाधिकार आयोग और केन्या कानून समाज ने दायर किया था।
अदालत में पेश किए गए दस्तावेज़ों में यह बताया गया कि इस परियोजना के लिए $1.85 बिलियन का निवेश प्रस्तावित है, जिसे केन्या खुद भी जुटा सकता है, बिना अदाणी की शर्तों को मानने के।
सबसे ज्यादा गुस्सा केन्याई जनता में इस डील की पारदर्शिता की कमी को लेकर है, क्योंकि यह सरकार के पिछले भ्रष्टाचार घोटालों की याद दिलाती है।
सरकार की ओर से जब अदाणी की योजना की जानकारी मांगी गई, तो ट्रांसपोर्ट सेक्रेटरी डेविस चिरचिर बिना दस्तावेजों के ही पहुंच गए। उन्होंने बताया कि सरकार अभी भी इस प्रस्ताव पर जांच कर रही है, लेकिन विपक्षी सांसदों ने इसे पारदर्शिता की कमी बताया।
इसी बीच, अदाणी समूह को $1.3 बिलियन की बिजली ट्रांसमिशन लाइनें बिछाने का अनुबंध भी दिया गया, जिससे सरकार पर और सवाल उठने लगे।
अदालत में दाखिल दस्तावेज़ों के अनुसार, अदाणी को इस डील के तहत हवाई अड्डे पर होटल और व्यापारिक प्रतिष्ठान बनाने के लिए भूमि आवंटित की जाएगी और उन्हें केन्या सरकार द्वारा कर में रियायतें भी दी जाएंगी। अदाणी समूह ने अदालत में यह कहा कि इन आरोपों में कई बातें असत्य हैं और बिना किसी आधार के कही जा रही हैं।