भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने रेपो रेट को 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा है, लेकिन नीति के रुख को ‘विथड्रॉल ऑफ एकोमोडेशन’ से बदलकर ‘न्यूट्रल’ कर दिया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने अपनी ब्याज दरों में 50 बेसिस पॉइंट की बड़ी कटौती की है।
इसके परिणामस्वरूप, स्टैंडिंग डिपॉज़िट फैसिलिटी (एसडीएफ) की दर 6.25 प्रतिशत पर स्थिर है, जबकि मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (एमएसएफ) और बैंक रेट 6.75 प्रतिशत पर अपरिवर्तित हैं।
12 अर्थशास्त्रियों, बैंकरों और फंड मैनेजरों के एक सर्वेक्षण में यह पाया गया कि आरबीआई की एमपीसी प्रमुख ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करेगी।
आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी वृद्धि का पूर्वानुमान 7.2 प्रतिशत पर स्थिर रखा है। मुद्रास्फीति का प्रक्षेपण भी 4.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित है। दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 4.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.8 प्रतिशत, चौथी तिमाही में 4.2 प्रतिशत, और अगले वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में 4.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, “मुद्रास्फीति का घोड़ा सहनशीलता सीमा के भीतर अस्तबल में लाया गया है, लेकिन गेट खोलने में सावधानी बरतनी होगी।”