उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने ऑनलाइन पोर्टलों पर बेस्ट-बिफोर तिथि का उल्लेख न करने वाले कंपनियों पर कार्रवाई करने पर विचार करना शुरू किया है। सूत्रों के अनुसार, यह कदम तब उठाया गया जब मंत्रालय ने पिछले हफ्ते कई ई-कॉमर्स और क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स को नोटिस भेजा। अब मंत्रालय बड़े फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (FMCG) कंपनियों की भी जांच कर रहा है कि क्या उन्होंने भी इन नियमों का उल्लंघन किया है। मुद्दा यह है कि कुछ ऑनलाइन पोर्टल्स अपने ग्राहकों को उत्पादों की एक्सपायरी तिथि के निकट पहुंचने पर उन्हें बेचने की रणनीति अपनाते हैं।
बेस्ट-बिफोर तिथि, जिसे एक्सपायरी तिथि के नाम से भी जाना जाता है, उस जानकारी को संदर्भित करती है जो यह दर्शाती है कि उत्पाद को कब तक उपयोग नहीं करना चाहिए।
वर्ष 2017 में संशोधित विधिक मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटी) नियम के अनुसार, उपभोग के लिए तैयार उत्पादों की बेस्ट-बिफोर तिथि का उल्लेख अनिवार्य है और सभी ई-कॉमर्स पोर्टल्स पर बेचे जा रहे पहले से पैकेज्ड सामानों की यह जानकारी प्रदर्शित करना आवश्यक है। इसके बावजूद, कई अग्रणी प्लेटफॉर्म्स ने इन विनियमों का पालन नहीं किया है। अब मंत्रालय की निगाह उन बड़े FMCG कंपनियों पर है जिन्होंने अपने खुद के ऑनलाइन डिलीवरी ऐप्स बनाए हैं, जिनके माध्यम से वे सीधे ग्राहकों को अपने उत्पाद बेचते हैं।
इस मुद्दे को एक निजी सर्वेक्षण कंपनी, LocalCircles ने भी उठाया है, जिसने बताया कि अधिकांश प्लेटफॉर्म्स बेस्ट-बिफोर तिथि का प्रदर्शन नहीं करते हैं और केवल शेल्फ लाइफ दिखाते हैं। कंपनी द्वारा 2024 में कराए गए एक सर्वे में यह बात सामने आई कि 57 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने इस बात की शिकायत की कि पोर्टल पर उत्पादों की बेस्ट-बिफोर तिथि का उल्लेख नहीं किया गया। 2023 में यह आंकड़ा 50 प्रतिशत था जो अब बढ़ गया है।
भारत का क्विक कॉमर्स, जो एक्सप्रेस डिलीवरी पर केंद्रित शिपमेंट व्यवसाय का एक तेजी से बढ़ता क्षेत्र है, वर्तमान में 3.4 बिलियन डॉलर का मूल्य रखता है और 2029 तक इसके 10 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। उपभोक्ता मुद्रास्फीति श्रृंखला के लिए इन प्लेटफॉर्म्स से मूल्य डेटा एकत्र करने के लिए सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय भी संभावनाएं तलाश रहा है।