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Thursday, November 14, 2024
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विदेशी निवेश को आकर्षित करने के लिए सरकार करेगी नई रणनीति!

भारतीय सरकार विदेशी निवेशकों को घरेलू कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने के लिए अधिक लचीलापन देने के उपायों पर विचार कर रही है। विदेशों से आने वाले निवेश में पांच वर्षों के न्यूनतम स्तर पर पहुंचने के बाद, नीति-निर्माता इस विकल्प को खोलने पर चर्चा कर रहे हैं। इस मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने यह बात साझा की है।

सूत्रों के अनुसार, नीति-निर्माता इक्विटी और ऋण के मिश्रण के माध्यम से विदेशी निवेश का विकल्प देने पर विचार कर रहे हैं, जो वर्तमान में अनुमति प्राप्त नहीं है। हालांकि, इस पर अंतिम निर्णय अभी लंबित है। अगर यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है, तो यह भारत के पूंजी बाजार और विदेशी पूंजी प्रवाह में एक बड़ा कदम होगा, जो कि कई प्रतिबंधों से जकड़ा हुआ है, क्योंकि भारतीय मुद्रा पूर्णतः परिवर्तनीय नहीं है।

सरकार द्वारा “मेज़नाइन उपकरणों” के उपयोग का प्रस्ताव विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (एफडीआई) को बढ़ाने की एक योजना का हिस्सा है। यह निवेश उपकरण दुनिया के कई हिस्सों में प्रचलित हैं, विशेषकर बड़े विलय और अधिग्रहण लेनदेन में। दिलचस्प बात यह है कि भारत के विदेशी मुद्रा कानून में इन उपकरणों को मान्यता नहीं दी गई है। क्या यह हमारी सरकार की विफलता नहीं है कि वैश्विक निवेश का एक महत्वपूर्ण साधन हमारे यहां वर्जित है?

देश की एफडीआई से जुड़ी नीतियों में यह बदलाव विदेशी पूंजी को 20-30 अरब डॉलर तक बढ़ाने की क्षमता रखता है। हालांकि, सरकार ने इस निवेश उछाल के लिए किसी समयसीमा का संकेत नहीं दिया है। वित्त मंत्रालय फिलहाल इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहा है और यह बदलाव लाने के पक्ष में भी है। वित्त मंत्रालय ने इस पर टिप्पणी के लिए भेजे गए ईमेल का तुरंत जवाब नहीं दिया।

2023 में भारत ने वैश्विक एफडीआई का मात्र 2.1% हिस्सा ही आकर्षित किया, जबकि 2020 में यह 6.5% पर था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले सप्ताह कहा कि भारत को अपनी निवेश आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए हर वर्ष 100 अरब डॉलर एफडीआई की जरूरत है, जो वर्तमान 70-80 अरब डॉलर से अधिक है। क्या भारत इतनी बड़ी आर्थिक ज़रूरतों को पूरा करने में सक्षम है या फिर यह केवल एक आकर्षक वादों का पुलिंदा है?

वर्तमान एफडीआई नियमों के अंतर्गत कंपनियों को इक्विटी या ऐसी प्रतिभूतियों को जारी करने की अनुमति है, जो अनिवार्य रूप से इक्विटी में परिवर्तित होती हैं। बैंकिंग और रक्षा जैसे कुछ क्षेत्रों में विदेशी निवेश पर कैप लगाया गया है। इसके अलावा, विदेशी स्रोतों से ऋण जुटाने की अनुमति भी है, लेकिन इसके लिए भी लागत और उपयोग पर सख्त सीमाएँ तय की गई हैं।

विदेशी निवेशकों को अधिक लचीलापन प्रदान करने से उन्हें निवेश के लिए अधिक विकल्प मिल सकते हैं। इसके अतिरिक्त, “मेज़नाइन उपकरणों” के माध्यम से निवेश से निकासी भी आसान हो सकती है, क्योंकि निवेशक बड़े इक्विटी हिस्सों को खरीदने से बच सकते हैं, जबकि ऋण के लिए यह आसान होता है। लेकिन एक सावधान करने वाली बात यह भी है कि ऐसे निवेशों से मुद्रा में अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है और रुपये पर दबाव बढ़ सकता है। निवेश बैंकर टीना गोयल ने कहा कि यह कदम आकर्षक भले ही लगे, लेकिन क्या भारत की मुद्रा इस झटके को सह पाएगी?

Kavita Mishra
Kavita Mishrahttps://hindi.inventiva.co.in/
Kavita is a versatile content writer with a deep passion for news. Based in New Delhi, she has a keen interest in exploring the latest trends in the world of current affairs and delivering engaging content to her audience. Kavita has extensive experience working with Inventiva, where she honed her skills in content creation and developed a strong foundation in delivering high-quality, informative articles.
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