एक रुपये का मामूली सा सिक्का सरकार को जितना उसकी कीमत में पड़ता है, उससे कहीं अधिक महंगा साबित हो रहा है। एक आरटीआई के जवाब में सरकार द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2018 की रिपोर्ट से पता चलता है कि 1992 से प्रचलन में रहे इस सिक्के को बनाने का खर्च 1.11 रुपये आता है, यानी इसकी अपनी कीमत से ज्यादा।
यह एक रुपये का सिक्का स्टेनलेस स्टील से बना होता है, जिसका व्यास 21.93 मिलीमीटर, मोटाई 1.45 मिलीमीटर और वजन 3.76 ग्राम है। हाल ही में गूगल ने “गूगल पर गूगलीज” नाम से एक विज्ञापन अभियान शुरू किया है, जिसमें #ढूंढ़ोगेतोजानोगे हैशटैग के तहत उपयोगकर्ताओं को रोचक सवालों के जवाब खोजने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। जैसे ही उपयोगकर्ता एक रुपये के सिक्के की लागत खोजते हैं, उन्हें एक संदेश मिलता है: “बधाई हो! आपने अपनी पहली गूगली अनलॉक कर ली है!” यह पहल ज्ञान को मनोरंजक रूप से प्रस्तुत करने का प्रयास है, जो उपयोगकर्ताओं को जानकारी प्राप्त करने के इस खेल में शामिल करती है।
अन्य सिक्कों के उत्पादन की लागत अपेक्षाकृत कम है। उदाहरण के लिए, ₹2 के सिक्के को ₹1.28, ₹5 के सिक्के को ₹3.69 और ₹10 के सिक्के को ₹5.54 में ढाला जाता है। ये सभी सिक्के भारतीय सरकार द्वारा मुंबई और हैदराबाद की टकसालों में तैयार किए जाते हैं। हैदराबाद टकसाल ने इन उत्पादन लागतों का खुलासा किया, जबकि मुंबई टकसाल ने गोपनीयता का हवाला देते हुए आरटीआई एक्ट 2005 की धारा 8(1)(d) के अंतर्गत यह जानकारी देने से मना कर दिया।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2016-17 में 2.201 अरब सिक्के ढाले गए थे, जबकि पिछले साल 2.151 अरब सिक्कों का उत्पादन हुआ था। हालांकि, हाल के उत्पादन खर्चों पर कोई खुलासा नहीं किया गया है, लेकिन 2018 से 2024 के बीच मुद्रास्फीति को देखते हुए, प्रत्येक सिक्के की मिंटिंग लागत में वृद्धि होना संभावित है।