ऑनलाइन खुदरा बाजार में बड़े नामों की एकाधिकार को चुनौती देने की योजना के तहत सरकार समर्थित ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) ने अक्टूबर में 14 मिलियन लेनदेन दर्ज किए, जो सितंबर में 12.90 मिलियन थे। इस दौरान, ONDC ने अक्टूबर के लिए हर खिलाड़ी के प्रोत्साहन भुगतान में 50% की वृद्धि की थी। कुल लेनदेन में, मोबिलिटी सेगमेंट ने 5.5 मिलियन का योगदान दिया, जबकि नॉन-मोबिलिटी सेगमेंट का योगदान 8.4 मिलियन था, जो क्रमशः 10% और 7.6% की वृद्धि दर्शाता है। नॉन-मोबिलिटी के भीतर, खाद्य एवं पेय श्रेणी ने सबसे अधिक 2 मिलियन लेनदेन किए, जबकि किराने का योगदान लगभग 1 मिलियन था। इसी प्रकार, फैशन सेगमेंट में 11 मिलियन लेनदेन दर्ज किए गए, जो सितंबर में 9 मिलियन थे।
सालाना आधार पर, ONDC के लेनदेन में 200% की वृद्धि हुई है, क्योंकि अक्टूबर 2023 में केवल 4.5 मिलियन लेनदेन ही दर्ज किए गए थे। सितंबर में ONDC ने 3.2% मासिक वृद्धि के साथ 12.90 मिलियन लेनदेन दर्ज किए, जिसमें मोबिलिटी सेगमेंट से 5 मिलियन और नॉन-मोबिलिटी श्रेणी से लगभग 7.9 मिलियन का योगदान रहा।
उद्योग स्रोतों के अनुसार, “हालांकि वृद्धि मामूली है, छोटे विक्रेताओं को इसका लाभ मिला और उत्सव के दौरान मांग में बढ़ोतरी की उम्मीद है। ये आंकड़े सीजन की शुरुआत के हैं।” ONDC की रणनीतिक पहल के चलते प्रोत्साहन में बढ़ोतरी भी इस वृद्धि का एक कारण मानी जा सकती है। इससे पहले, ONDC ने सितंबर अंत तक प्रति खिलाड़ी अधिकतम प्रोत्साहन भुगतान को ₹3 करोड़ से घटाकर ₹2.5 करोड़ कर दिया था, जिसे अब ₹60 लाख कर दिया गया है।
अब सवाल यह है कि यह प्रोत्साहन भी त्योहारों के बाद कितना जारी रह पाएगा? क्या ONDC का यह बदलाव छोटे विक्रेताओं को लंबे समय तक लाभ दिला पाएगा या यह भी एक अस्थायी कदम ही साबित होगा?
विगत एक वर्ष में Paytm, Ola, PhonePe, Meesho, Magicpin और Shiprocket जैसी कंपनियों ने ONDC का समर्थन किया है, जिसका उद्देश्य Amazon, Flipkart, Zomato और Swiggy जैसे दिग्गजों का प्रभुत्व तोड़ना है। Zoho जैसी कंपनी ने 25 सितंबर को ONDC पर अपने विक्रेता-साइड प्लेटफॉर्म को लॉन्च किया, जो ई-कॉमर्स दिग्गजों के वर्चस्व को चुनौती देने की दिशा में एक कदम है।
ONDC ने अपने ‘DigiHaat’ नामक खुद के बायर ऐप को लॉन्च करने का निर्णय लिया है, जो ‘निर्मित भारत’ नामक 100% सहायक कंपनी के तहत संचालित होगा। DigiHaat पर छोटे व्यवसायों, किसान उत्पादक संगठनों (FPOs), शिल्पकारों, विश्वकर्मा समुदायों, राज्य एम्पोरियम और स्वयं सहायता समूहों (SHGs) के उत्पादों को विशेष ध्यान मिलेगा।