एक अरबपति सह-संस्थापक और CEO का मानना है कि उद्यमियों के लिए वर्क-लाइफ बैलेंस एक मिथक है, खासकर कंपनी की शुरुआती अवस्था में।
“वर्क-लाइफ बैलेंस उद्यमियों के लिए नहीं होता,” रेजिंग केन के सह-संस्थापक और CEO टॉड ग्रेव्स ने CNBC को बताया। उनका कहना है कि एक व्यवसाय खड़ा करने के लिए जिस प्रकार का समर्पण चाहिए, वह अधिकांश लोगों की अपेक्षाओं से कहीं अधिक होता है।
अपने असाधारण सफलता के बावजूद, ग्रेव्स इस बात पर जोर देते हैं कि सफलता की राह लंबे घंटों और बड़े त्याग से भरी होती है। रिपोर्ट के अनुसार, बॅटन रूज स्थित अपने चिकन फिंगर रेस्टोरेंट चेन रेजिंग केन को स्थापित करने के लिए ग्रेव्स ने कैलिफोर्निया के एक ऑयल रिफाइनरी में 90 घंटे की साप्ताहिक शिफ्ट की, अलास्का में साल्मन मछली पकड़ी, और जो भी संभव था, वह सब किया ताकि अपने सपने की बुनियाद रख सकें।
“मैं आपको नहीं बता सकता कि मैंने कितने 15-16 घंटे के दिन लगातार काम किया है,” ग्रेव्स ने बताया। आज, अरबों डॉलर की इस कंपनी के मालिक ग्रेव्स बताते हैं कि कई बार उनका पारिवारिक जीवन भी कार्य में ही समाहित हो गया। उनकी पत्नी अपने बच्चों को ऑफिस में उनके साथ खाना और खेलने के लिए लाती थीं, ताकि ग्रेव्स अपनी थकी हुई दिनचर्या में थोड़ी राहत पा सकें और फिर से काम पर लौट सकें।
आज भी, रेजिंग केन के 90% के मालिक होने के बावजूद, ग्रेव्स का शेड्यूल बेहद व्यस्त रहता है। हालांकि, अब उन्होंने अपने दायित्वों के बीच संतुलन बनाना सीख लिया है, जिससे उन्हें अपने परिवार और दोस्तों के साथ क्वालिटी टाइम बिताने का अवसर मिल पाता है। CNBC से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि छुट्टियों के समय वे सुबह 4:30 बजे उठकर काम निपटा लेते हैं, ताकि 11 बजे तक अपने परिवार के साथ जुड़ सकें और दिन का बाकी समय उनके साथ बिता सकें।
जलता सवाल: क्या यह ‘मिथक’ वाकई सफल लोगों का फॉर्मूला है?
हाल के महीनों में युवाओं की मानसिक सेहत को लेकर गहरी चिंता बढ़ी है, क्योंकि कई युवा पेशेवर अपनी जीवनशैली और काम के बीच संतुलन बनाने में असमर्थ महसूस कर रहे हैं। इसके पीछे अनियमित कार्य-सूचियाँ और अत्यधिक अपेक्षाओं का बोझ भी प्रमुख कारण हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि आज की तेज रफ्तार कार्यशैली से जुड़े मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य संकट बढ़ रहे हैं, जिसमें हृदयाघात जैसे गंभीर रोग भी शामिल हैं। रिपोर्ट्स से यह भी सामने आया है कि अत्यधिक दबाव वाले कार्यक्षेत्र में काम करने वाले कई पेशेवर गंभीर बर्नआउट का सामना कर रहे हैं और इनमें से कुछ तो हृदयाघात या स्ट्रोक का शिकार भी हो रहे हैं।