अक्टूबर 2024 में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.21% पर पहुँच गई, जो अक्टूबर 2023 में 4.87% थी। यह वृद्धि मुख्य रूप से सब्ज़ियों की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है, जिससे भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) का मुद्रास्फीति लक्ष्य सीमा भी पार हो गई है।
अहमदाबाद में खुले बाजार में फल और सब्ज़ियाँ ख़रीदते लोग (21 अगस्त, 2023)।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों की मुद्रास्फीति दर क्रमशः 6.68% और 5.62% रही।
आरबीआई का मुद्रास्फीति लक्ष्य क्या था?
आरबीआई ने इस महीने रेपो रेट को 6.5% पर स्थिर रखा था, जबकि इसका मुद्रास्फीति लक्ष्य 4% पर था, जिसमें 2% का मार्जिन निर्धारित था।
खाद्य कीमतों में कितनी वृद्धि हुई?
अक्टूबर 2024 में अखिल भारतीय उपभोक्ता खाद्य मूल्य सूचकांक (CFPI) ने खाद्य मुद्रास्फीति को 10.87% दर्शाया, जिसमें ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में यह दर क्रमशः 10.69% और 11.09% थी। पिछले साल इसी महीने में यह दर 6.61% थी।
खाद्य कीमतों में वृद्धि का कारण क्या था?
सब्ज़ियों में सभी खाद्य पदार्थों के मुकाबले सबसे अधिक वृद्धि देखी गई, जो अक्टूबर 2024 में 42.18% पर पहुँच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में आश्चर्यजनक रूप से अधिक है। शहरी क्षेत्रों में सब्ज़ियों की मुद्रास्फीति 42.63% रही, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 41.94% थी।
इसके बाद तेल और वसा उत्पादों में 9.51% और फलों में 8.43% की मुद्रास्फीति रही। केवल मसालों में 7.01% की गिरावट दर्ज की गई।
किन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में सबसे अधिक और कम मुद्रास्फीति देखी गई?
अक्टूबर 2024 में सबसे अधिक मुद्रास्फीति छत्तीसगढ़ में 8.84% दर्ज की गई, इसके बाद बिहार में 7.83% और ओडिशा में 7.51% रही। दिल्ली में सबसे कम मुद्रास्फीति 4.01% रही, इसके बाद पश्चिम बंगाल में 4.63% और महाराष्ट्र में 5.38% रही।
क्या आरबीआई के नीतिगत कदम नाकाफी हैं?
रिज़र्व बैंक का 4% मुद्रास्फीति लक्ष्य अब मात्र एक कागजी लक्ष्य बनता जा रहा है, जबकि असल जीवन में उपभोक्ता इस बोझ से जूझ रहे हैं। रेपो रेट को स्थिर रखने का निर्णय महंगाई पर नियंत्रण नहीं कर सका। यह सवाल उठना लाज़मी है कि आखिरकार उपभोक्ताओं को कब तक इस महंगाई की मार झेलनी पड़ेगी, और क्या आरबीआई के ये नीतिगत कदम वास्तव में मुद्रास्फीति रोकने के लिए कारगर साबित हो रहे हैं?