सैन फ्रांसिस्को में स्थित आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) स्टार्टअप गेप्टाइल के भारतीय-अमेरिकी CEO दक्ष गुप्ता ने अपने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि उन्हें उनकी कंपनी की लंबी कार्य अवधि के चलते जान से मारने की धमकियां और नौकरी के आवेदन दोनों ही मिल रहे हैं।
‘काम-जीवन संतुलन’ का कोई स्थान नहीं
दक्ष गुप्ता ने 9 नवंबर को एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा, “मैंने हाल ही में उम्मीदवारों को इंटरव्यू के दौरान स्पष्ट रूप से बताना शुरू कर दिया है कि गेप्टाइल में कोई काम-जीवन संतुलन नहीं है। सामान्य कार्यदिवस सुबह 9 बजे शुरू होते हैं और रात 11 बजे या उससे भी अधिक देर तक चलते हैं। हम शनिवार को और कभी-कभी रविवार को भी काम करते हैं। यहाँ तनावपूर्ण माहौल है और खराब प्रदर्शन के लिए कोई सहिष्णुता नहीं है।”
उन्होंने आगे लिखा, “पहले मुझे ऐसा करना गलत लगता था, लेकिन अब मुझे यकीन है कि पारदर्शिता अच्छी है। मैं चाहता हूँ कि लोग पहले ही दिन यह जान लें, न कि बाद में। यह तरीका कैसा है, इस पर अन्य लोगों की राय जानने का इच्छुक हूँ।”
गुप्ता का यह पोस्ट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे रेडिट और लिंक्डइन पर भी वायरल हो गया। इस पर लोगों ने कंपनी संस्कृति और काम के घंटों को लेकर तीखी बहस की।
‘जान से मारने की धमकी और नौकरी के आवेदन’
अगले दिन, गुप्ता ने एक और पोस्ट कर बताया कि उनके पहले पोस्ट के कारण उन्हें जान से मारने की धमकियां मिलीं, लेकिन साथ ही नौकरी के आवेदन भी आए। उन्होंने लिखा, “रेडिट के फ्रंट पेज पर आने के बाद मेरी इनबॉक्स में 20% धमकियां और 80% नौकरी के आवेदन हैं। उन लोगों के लिए जो अपनी सॉफ़्टवेयर नौकरी में कम वेतन और अत्यधिक काम से परेशान हैं, मुझे उनके लिए दुख है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके कर्मचारी पहले छह अंकों की तनख्वाह वाली नौकरियां कर रहे थे, जहां उन्हें केवल 20 घंटे काम करना पड़ता था, और वे कभी भी वापस जा सकते हैं।
गुप्ता ने यह स्पष्ट किया कि यह कठोर कार्यशैली स्थायी नहीं है। उन्होंने लिखा, “स्टार्टअप के पहले एक-दो साल बेहद कठिन होते हैं। जैसे-जैसे हम परिपक्व होंगे, हम अनुभवी लोगों को नियुक्त करेंगे, जिनके पास परिवार हैं और वे 100 घंटे काम नहीं कर सकते। यह मॉडल स्थायी नहीं है, बल्कि शुरुआती दौर की जरूरत है।”
‘मैं ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि मैं भारतीय हूँ’
गुप्ता ने भारतीयों की आलोचना पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा, “इस पोस्ट पर भारतीयों की काफी नफरत आ रही है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि मैं ऐसा इसलिए नहीं हूँ क्योंकि मैं भारतीय हूँ, बल्कि क्योंकि मैं सैन फ्रांसिस्को का रहने वाला हूँ।”