वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने औद्योगिक विकास और क्षमता निर्माण को प्रोत्साहित करने के लिए सस्ती उधारी दरों की आवश्यकता पर जोर दिया है। 11वें एसबीआई बैंकिंग और इकोनॉमिक्स कॉन्क्लेव में बोलते हुए, उन्होंने महंगाई और आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर गहरी चिंता जाहिर की। उन्होंने छोटे और मझोले उद्योगों (एसएमई) के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों और चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की।
आइए जानते हैं उनके भाषण के मुख्य बिंदु:
- सस्ती उधारी दरें: वित्त मंत्री ने कहा कि मौजूदा ऊंची उधारी दरें उद्योगों के लिए “काफी तनावपूर्ण” हैं। उन्होंने बैंकों से ब्याज दरें कम करने की अपील की ताकि उधारी आसान हो सके। उन्होंने कहा कि उद्योगों के विस्तार और क्षमता निर्माण के लिए सस्ती लोन व्यवस्था आवश्यक है।
- महंगाई प्रबंधन: उन्होंने टमाटर, प्याज और आलू जैसी सब्जियों की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई के दबाव को स्वीकार किया। वित्त मंत्री ने बताया कि सरकार आपूर्ति की कमी को दूर करने और कीमतों में स्थिरता लाने के लिए भंडारण सुविधाओं को बेहतर बनाने और पाम ऑयल मिशन जैसे उपाय कर रही है।
- आर्थिक स्थिरता: उन्होंने यह भरोसा दिलाया कि कुछ आर्थिक संकेतकों में नरमी के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है। उन्होंने इसका श्रेय मजबूत आर्थिक बुनियादी ढांचे, घटती महंगाई और वित्तीय संतुलन को दिया।
- नैतिक बैंकिंग प्रथाओं पर जोर: वित्त मंत्री ने बैंकों से पारदर्शिता, नैतिक प्रथाओं और ग्राहक-केंद्रित दृष्टिकोण अपनाने की अपील की। उन्होंने बीमा उत्पादों की गलत बिक्री पर चिंता जताई और ग्राहक विश्वास बढ़ाने के लिए बेहतर सेवा देने को कहा।
- एमएसएमई के लिए समर्थन: वित्त मंत्री ने एमएसएमई क्षेत्र के लिए 2025-26 में ₹6.12 लाख करोड़ और 2026-27 में ₹7 लाख करोड़ के ऋण लक्ष्य तय किए। उन्होंने 2024-25 में छोटे उद्योगों के लिए अतिरिक्त ₹1.54 लाख करोड़ उधारी देने पर भी जोर दिया।
- वैश्विक बाजार चुनौतियां: उन्होंने स्वीकार किया कि दालों और खाद्य तेलों के आयात में वैश्विक बाजार की अस्थिरता का असर घरेलू कीमतों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार उपभोक्ताओं को बढ़ती लागत से बचाने के लिए कदम उठा रही है।