केंद्र सरकार भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास के कार्यकाल को बढ़ा सकती है। यह जानकारी सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दी है। यदि उनका कार्यकाल बढ़ाया जाता है, तो दास 1960 के दशक के बाद से सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले RBI गवर्नर बन जाएंगे।
सूत्रों के अनुसार, शक्तिकांत दास के उत्तराधिकारी को लेकर कोई अन्य उम्मीदवार विचाराधीन नहीं है, न ही कोई चयन समिति गठित की गई है। ऐसे में मौजूदा गवर्नर के कार्यकाल को बढ़ाया जाना लगभग तय माना जा रहा है।
एक अन्य सूत्र, जो इस घटनाक्रम से सीधे जुड़े हैं, ने बताया कि दास के कार्यकाल विस्तार की घोषणा महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद, 20 नवंबर को पूरी होने के बाद की जाएगी। चुनाव आयोग (ECI) की आदर्श आचार संहिता के तहत सत्तारूढ़ दल कोई भी ऐसा निर्णय नहीं ले सकता, जो मतदाताओं के व्यवहार को प्रभावित कर सके।
रिपोर्ट के अनुसार, वित्त मंत्रालय, प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) और रिज़र्व बैंक ने इस पर कोई भी टिप्पणी करने के लिए तुरंत ईमेल का जवाब नहीं दिया। अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री द्वारा लिया जाएगा, ऐसा सूत्रों ने बताया।
शक्तिकांत दास कौन हैं?
शक्तिकांत दास पूर्व वित्त सचिव रह चुके हैं और 12 दिसंबर 2018 को उन्होंने RBI के 25वें गवर्नर के रूप में पदभार संभाला। वह 15वें वित्त आयोग के सदस्य और भारत के G20 शेरपा भी रह चुके हैं।
अपने वित्त मंत्रालय के लंबे कार्यकाल के दौरान, दास ने आठ केंद्रीय बजट तैयार करने में सीधा योगदान दिया। उन्होंने वर्ल्ड बैंक, एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियन इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक (AIIB) में भारत के वैकल्पिक गवर्नर के रूप में भी सेवाएं दी हैं। इसके अलावा, वह IMF, G20, BRICS और SAARC जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, दास की नियुक्ति ऐसे समय में हुई थी जब 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी के बाद सरकार और RBI के संबंधों में तनाव था।
RBI गवर्नर की नियुक्ति कैसे होती है?
भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रमुख केंद्रीय सरकार द्वारा RBI अधिनियम, 1934 के प्रावधानों के तहत नियुक्त किया जाता है। गवर्नर की नियुक्ति प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा की जाती है।
वित्त मंत्रालय का वित्तीय सेवा विभाग (DFS) उम्मीदवारों को उनकी योग्यता, अनुभव और उपयुक्तता के आधार पर शॉर्टलिस्ट करता है। विशेषज्ञों, नौकरशाहों और अर्थशास्त्रियों सहित विभिन्न स्रोतों से सिफारिशें मांगी जाती हैं।
हालांकि RBI अधिनियम में पात्रता के लिए कोई विशेष मानदंड नहीं है, सरकार अर्थशास्त्र, बैंकिंग, वित्त या सार्वजनिक प्रशासन में विशेषज्ञता रखने वाले व्यक्तियों पर विचार करती है।