विप्रो के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने वर्क-लाइफ बैलेंस को “अत्यंत महत्वपूर्ण” बताया और कहा कि उनका मानना है कि हाइब्रिड वर्क मॉडल कर्मचारियों के लिए फायदेमंद है।
ऋषद प्रेमजी ने यह भी कहा कि विप्रो अपने मैनेजरों को यह सिखाता है कि वे कर्मचारियों के प्रति संवेदनशील रहें, संकेतों को पहचानें और वर्क-लाइफ बैलेंस के मुद्दों पर खुलकर बातचीत करें।
“मैंने यह बहुत पहले, कोविड से पहले ही समझ लिया था कि वर्क-लाइफ बैलेंस ऐसा है जिसे आपको खुद परिभाषित करना होगा। संगठन आपके लिए यह काम कभी नहीं करेंगे।” प्रेमजी ने बेंगलुरु टेक समिट 2024 के पहले दिन एक फायरसाइड चैट में यह बात कही। उन्होंने आगे कहा, “इसलिए आपको यह तय करना होगा कि इसका मतलब क्या है और अपनी सीमाएं तय करनी होंगी।”
ऋषद प्रेमजी का यह बयान ऐसे समय आया है जब इंफोसिस के संस्थापक नारायण मूर्ति ने हाल ही में 70 घंटे के कार्य सप्ताह का समर्थन किया और वर्क-लाइफ बैलेंस की अवधारणा पर सवाल उठाए।
नारायण मूर्ति ने 1986 में भारत में छह दिन के कार्य सप्ताह से पांच दिन के कार्य सप्ताह में बदलाव पर भी अपनी नाराजगी जताई थी।
वहीं, ऋषद प्रेमजी ने वर्क-लाइफ बैलेंस के बदलते नजरिए पर भी बात की। उन्होंने कहा कि पहले इसका मतलब ऑफिस आने और जाने के समय से था, लेकिन आज यह बदलाव हो चुका है। आज इसका अर्थ यह भी हो सकता है कि काम के दौरान “इंस्टाग्राम का उपयोग न करना”।
“इसका मतलब सिर्फ हमारा नहीं है, बल्कि यह भी है कि मैं काम के दौरान अपनी समय की स्वतंत्रता के साथ क्या कर सकता हूं, जबकि मैं काम नहीं कर रहा हूं।” प्रेमजी ने कहा।
यह बयान ऐसे समय आया है जब कई आईटी कंपनियां, जिनमें टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), इंफोसिस और विप्रो शामिल हैं, अपने कर्मचारियों को महामारी के बाद ऑफिस वापस बुला रही हैं।
प्रेमजी ने यह भी बताया कि विप्रो अपने कर्मचारियों को सप्ताह में दो दिन ऑफिस आने की सुविधा प्रदान करता है। इसके साथ ही उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि विप्रो अपने मैनेजरों को प्रशिक्षित करता है ताकि वे कर्मचारियों के संकेतों को समझ सकें और वर्क-लाइफ बैलेंस पर खुलकर बातचीत कर सकें।