बीमा संशोधन विधेयक, जिसका उद्देश्य बीमा क्षेत्र में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) की सीमा को 100 प्रतिशत तक बढ़ाना है, जल्द ही संसद में पेश होने की संभावना है। यह विधेयक उच्च स्तर पर मंजूरी के अंतिम चरण में है।
प्रस्तावित संशोधनों के तहत बीमा क्षेत्र में FDI की सीमा 74 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने और बीमाकर्ताओं के लिए पूंजी की आवश्यकताओं में ढील देने का प्रावधान है। इस विधेयक का एक प्रमुख प्रावधान ‘कंपोजिट लाइसेंस’ की शुरुआत है, जिससे कंपनियां एक ही लाइसेंस के तहत जीवन, गैर-जीवन और स्वास्थ्य बीमा उत्पाद प्रदान कर सकेंगी।
सरकारी सूत्रों के अनुसार, विधेयक का मसौदा तैयार है और अंतिम स्वीकृति मिलने के बाद इसे कैबिनेट में पेश किया जाएगा, जिसके बाद इसे संसद में सूचीबद्ध किया जाएगा। भारतीय बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) लंबे समय से बीमा क्षेत्र में 100 प्रतिशत FDI की वकालत कर रहा है। प्राधिकरण का कहना है कि सरकार के 2047 तक ‘सभी के लिए बीमा’ के लक्ष्य को पूरा करने के लिए बड़ी पूंजी की आवश्यकता होगी।
FDI सीमा बढ़ाने के अलावा, इस विधेयक में जीवन, सामान्य और स्वास्थ्य बीमा कारोबार के लिए न्यूनतम ₹100 करोड़ की चुकता इक्विटी पूंजी की आवश्यकता को भी हटाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य नए खिलाड़ियों के लिए बाजार में प्रवेश को आसान बनाना और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाना है, जिससे पॉलिसीधारकों की वित्तीय सुरक्षा में सुधार और उद्योग की समग्र दक्षता में वृद्धि होगी।
सुधारों का उद्देश्य बीमाकर्ताओं के पंजीकरण के लिए पात्रता का दायरा बढ़ाना भी है। IRDAI अलग-अलग बीमाकर्ताओं की श्रेणियों के अनुसार न्यूनतम पूंजी आवश्यकताओं को तय करेगा। इन बदलावों से अधिक कंपनियों के बाजार में आने की संभावना है, जिससे आर्थिक विकास और रोजगार के अवसरों में वृद्धि होगी।