कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 1.2 से 1.3 करोड़ औपचारिक नौकरियां जुड़ती हैं। यह अच्छी खबर है। वहीं, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बेरोजगारी दर 7.2% से 9% के बीच रही है।
राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSSO) के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, तिमाही आधार पर बेरोजगारी दर 6.5% से 6.7% के बीच रही है। इससे स्पष्ट है कि स्थिति मिलीजुली रही है।
वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में सरकार ने एक रोजगार-लिंक्ड योजना (ELI) पेश की है, जिसके तहत पहले बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के वेतन या भविष्य निधि योगदान का भुगतान दो वर्षों तक सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, शीर्ष कंपनियों में एक इंटर्नशिप योजना भी शुरू की गई है।
क्या कंपनियों को सीधे प्रोत्साहित करना संभव है?
केंद्र और राज्य सरकारें नीतियां बनाकर तथा वित्तीय और भौतिक ढांचा देकर निजी क्षेत्र को बढ़ावा देती हैं। निजी कंपनियां हमेशा उत्पादकता और लाभ को ध्यान में रखती हैं। किसी भी कर्मचारी की सैलरी को एक स्थायी खर्च के रूप में देखा जाता है, जो उत्पादन से इतर एक दायित्व होता है।
कोविड के बाद से, तकनीक को मानव श्रम के विकल्प के रूप में अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते चलन के साथ, मानव श्रम की मांग में और कमी आने का डर है। यहां तक कि IT सेक्टर में भी, ‘जस्ट इन टाइम’ सिद्धांत के तहत जरूरत पड़ने पर ही कर्मचारियों की नियुक्ति हो रही है।
JLI योजना: रोजगार के लिए नई उम्मीद
सरकार रोजगार को बढ़ावा देने के लिए जॉब्स-लिंक्ड इंसेंटिव (JLI) योजना लागू कर सकती है, जो प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के समान होगी। PLI योजना के तहत कंपनियों को उत्पादन में वृद्धि के आधार पर 4% से 6% तक की सब्सिडी मिलती है। इसी तरह, JLI योजना में कंपनियों को श्रमिक संख्या बढ़ाने पर प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
JLI योजना के तहत कंपनियों को दो प्रकार के लाभ दिए जा सकते हैं:
- सब्सिडी: यदि कोई कंपनी अपने पिछले तीन वर्षों की उच्चतम संख्या से 5% अधिक श्रमिकों को जोड़ती है, तो उसे 4-6% की सब्सिडी दी जा सकती है।
- टैक्स छूट: यदि कंपनी श्रमिक संख्या बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करती है, तो उसे 5% टैक्स छूट मिल सकती है।
GDP में 6-7% की वृद्धि को देखते हुए 5% की वृद्धि का लक्ष्य उचित है।
कंपनियों की जवाबदेही और कर्मचारियों की सुरक्षा
कंपनियों को लक्ष्य पूरा करने के बदले यह लाभ तभी मिलेगा जब वे अपने वार्षिक रिपोर्ट्स में कर्मचारियों की संख्या का सही-सही ब्योरा दें। IT सेक्टर में छंटनी आम है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी यह देखा गया है। सरकार ऐसे मामलों में कंपनियों पर टैक्स सेस लगा सकती है, ताकि छंटनी की स्थिति में कर्मचारियों के लिए फंड बनाया जा सके।
रोजगार के लिए बेहतर योजना की जरूरत
JLI योजना के जरिए सरकार का पैसा रोजगार सृजन में बेहतर उपयोग हो सकता है। कंपनियों को सीधे प्रोत्साहन देना रोजगार के लिए अधिक प्रगतिशील तरीका साबित हो सकता है, बजाय सीमित समय की इंटर्नशिप योजनाओं या भविष्य निधि भुगतान के।
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) के आंकड़ों के अनुसार, हर साल लगभग 1.2 से 1.3 करोड़ औपचारिक नौकरियां जुड़ती हैं। यह अच्छी खबर है। वहीं, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बेरोजगारी दर 7.2% से 9% के बीच रही है।
राष्ट्रीय सैंपल सर्वे कार्यालय (NSSO) के साप्ताहिक आंकड़ों के अनुसार, तिमाही आधार पर बेरोजगारी दर 6.5% से 6.7% के बीच रही है। इससे स्पष्ट है कि स्थिति मिलीजुली रही है।
वित्त वर्ष 2024-25 के केंद्रीय बजट में सरकार ने एक रोजगार-लिंक्ड योजना (ELI) पेश की है, जिसके तहत पहले बार नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के वेतन या भविष्य निधि योगदान का भुगतान दो वर्षों तक सरकार द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, शीर्ष कंपनियों में एक इंटर्नशिप योजना भी शुरू की गई है।
क्या कंपनियों को सीधे प्रोत्साहित करना संभव है?
केंद्र और राज्य सरकारें नीतियां बनाकर तथा वित्तीय और भौतिक ढांचा देकर निजी क्षेत्र को बढ़ावा देती हैं। निजी कंपनियां हमेशा उत्पादकता और लाभ को ध्यान में रखती हैं। किसी भी कर्मचारी की सैलरी को एक स्थायी खर्च के रूप में देखा जाता है, जो उत्पादन से इतर एक दायित्व होता है।
कोविड के बाद से, तकनीक को मानव श्रम के विकल्प के रूप में अपनाने की प्रवृत्ति बढ़ी है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते चलन के साथ, मानव श्रम की मांग में और कमी आने का डर है। यहां तक कि IT सेक्टर में भी, ‘जस्ट इन टाइम’ सिद्धांत के तहत जरूरत पड़ने पर ही कर्मचारियों की नियुक्ति हो रही है।
JLI योजना: रोजगार के लिए नई उम्मीद
सरकार रोजगार को बढ़ावा देने के लिए जॉब्स-लिंक्ड इंसेंटिव (JLI) योजना लागू कर सकती है, जो प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना के समान होगी। PLI योजना के तहत कंपनियों को उत्पादन में वृद्धि के आधार पर 4% से 6% तक की सब्सिडी मिलती है। इसी तरह, JLI योजना में कंपनियों को श्रमिक संख्या बढ़ाने पर प्रोत्साहन दिया जा सकता है।
JLI योजना के तहत कंपनियों को दो प्रकार के लाभ दिए जा सकते हैं:
- सब्सिडी: यदि कोई कंपनी अपने पिछले तीन वर्षों की उच्चतम संख्या से 5% अधिक श्रमिकों को जोड़ती है, तो उसे 4-6% की सब्सिडी दी जा सकती है।
- टैक्स छूट: यदि कंपनी श्रमिक संख्या बढ़ाने का लक्ष्य पूरा करती है, तो उसे 5% टैक्स छूट मिल सकती है।
GDP में 6-7% की वृद्धि को देखते हुए 5% की वृद्धि का लक्ष्य उचित है।
कंपनियों की जवाबदेही और कर्मचारियों की सुरक्षा
कंपनियों को लक्ष्य पूरा करने के बदले यह लाभ तभी मिलेगा जब वे अपने वार्षिक रिपोर्ट्स में कर्मचारियों की संख्या का सही-सही ब्योरा दें। IT सेक्टर में छंटनी आम है, लेकिन अन्य क्षेत्रों में भी यह देखा गया है। सरकार ऐसे मामलों में कंपनियों पर टैक्स सेस लगा सकती है, ताकि छंटनी की स्थिति में कर्मचारियों के लिए फंड बनाया जा सके।
रोजगार के लिए बेहतर योजना की जरूरत
JLI योजना के जरिए सरकार का पैसा रोजगार सृजन में बेहतर उपयोग हो सकता है। कंपनियों को सीधे प्रोत्साहन देना रोजगार के लिए अधिक प्रगतिशील तरीका साबित हो सकता है, बजाय सीमित समय की इंटर्नशिप योजनाओं या भविष्य निधि भुगतान के।