अगर आपने कभी क्रेडिट कार्ड फ्रॉड का सामना किया है, तो आपकी पहली प्रतिक्रिया होगी बैंक को फोन कर कार्ड ब्लॉक करवाना। लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि आपका कार्ड बंद हो गया है? नहीं, कार्ड का ब्लॉक होना और बंद होना दो अलग-अलग प्रक्रियाएँ हैं। आइए एक उदाहरण से इसे समझते हैं।
मान लीजिए, आपको एहसास होता है कि आपका क्रेडिट कार्ड आपके पर्स में नहीं है, और इसी दौरान आपको पता चलता है कि उसी कार्ड से कोई अज्ञात व्यक्ति ₹5,000 का लेन-देन कर चुका है।
आप तुरंत फोन बैंकिंग अधिकारी से संपर्क करते हैं और कार्ड को ब्लॉक करवा देते हैं ताकि आगे कोई और गड़बड़ी न हो। हालांकि कार्ड ब्लॉक हो चुका है, लेकिन आपका कार्ड अकाउंट अब भी सक्रिय रहता है। इसका कारण यह है कि आपका कार्ड ‘ब्लॉक’ हुआ है, ‘बंद’ नहीं।
ब्लॉक और बंद करने में मुख्य अंतर:
- अर्थ: कार्ड ब्लॉक करना तब जरूरी होता है, जब आपके अकाउंट में कोई संदिग्ध लेन-देन हो। वहीं, कार्ड बंद करना तब किया जाता है, जब आपको उस कार्ड की जरूरत नहीं रह जाती।
- अस्थायी बनाम स्थायी: कार्ड ब्लॉक करना एक अस्थायी प्रक्रिया है, जबकि कार्ड बंद करना स्थायी होता है।
- प्रभाव: ब्लॉक करने पर क्रेडिट कार्ड अकाउंट पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता, लेकिन कार्ड बंद करने पर अकाउंट भी बंद हो जाता है।
- क्रेडिट स्कोर: कार्ड ब्लॉक करने पर आपके क्रेडिट स्कोर पर कोई असर नहीं पड़ता। वहीं, कार्ड बंद करने से अकाउंट के उपयोग की स्थिति के अनुसार क्रेडिट स्कोर प्रभावित हो सकता है।
- अकाउंट का क्लियर होना: कार्ड ब्लॉक करने के लिए आपको अपना अकाउंट क्लियर करने की जरूरत नहीं होती, जबकि अकाउंट बंद करने से पहले सभी बकाया राशि का भुगतान करना अनिवार्य है।
कार्ड बंद करने के कारण:
क्रेडिट कार्ड बंद करने के कुछ मुख्य कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:
- कार्डधारक को अब क्रेडिट कार्ड की जरूरत नहीं है।
- आपको लगता है कि कार्ड पर अधिक शुल्क लग रहा है या शर्तें अनुकूल नहीं हैं।
- बैंक ने निष्क्रियता या अपनी नीतियों के तहत अकाउंट बंद कर दिया है।