केंद्र सरकार अपनी इलेक्ट्रिक वाहन (EV) नीति का विस्तार करने की योजना बना रही है। अब यह नीति सिर्फ नए कारखाने लगाने वालों तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन ऑटोमोबाइल कंपनियों को भी लाभ मिलेगा जो पहले से उत्पादन कर रही हैं।
सूत्रों के अनुसार, यह नीति मूल रूप से Tesla को भारतीय बाजार में लाने और स्थानीय स्तर पर उत्पादन करने के लिए बनाई गई थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।
रिपोर्ट के अनुसार, Toyota और Hyundai जैसे विदेशी वाहन निर्माता भारत में इलेक्ट्रिक वाहन बनाने में रुचि दिखा रहे हैं। इस नई नीति में किए जा रहे बदलाव इन्हें और अधिक प्रोत्साहित कर सकते हैं।
मार्च में घोषित हुई थी नीति
भारत की मौजूदा EV नीति इस साल मार्च में घोषित की गई थी, जिसमें 8,000 इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए आयात कर में भारी कटौती की गई थी। यह कर पहले 100% तक था, जिसे घटाकर सिर्फ 15% कर दिया गया। हालांकि, यह छूट केवल उन्हीं वाहन निर्माताओं के लिए थी, जो भारत में कम से कम $500 मिलियन (लगभग ₹4,100 करोड़) का निवेश करेंगे और 50% तक स्थानीय पुर्जों का उपयोग करेंगे।
मौजूदा कारखानों को मिलेगा लाभ
नई नीति के तहत अब उन कारखानों में भी EV का उत्पादन किया जा सकेगा जो पहले से आंतरिक दहन इंजन (ICE) और हाइब्रिड कारों का निर्माण कर रहे हैं। हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए अलग उत्पादन लाइन अनिवार्य होगी और स्थानीय स्तर पर निर्मित पुर्जों का उपयोग भी जरूरी रहेगा।
रिपोर्ट के अनुसार, मशीनरी और उपकरणों में किया गया निवेश भी योग्य माना जाएगा, भले ही उनका उपयोग अन्य प्रकार की कारों के निर्माण में हो रहा हो।
न्यूनतम राजस्व लक्ष्य भी होगा जरूरी
इस योजना के तहत योग्य होने के लिए उत्पादन लाइन या संयंत्र को एक न्यूनतम EV राजस्व लक्ष्य भी पूरा करना होगा।
रिपोर्ट के अनुसार, इस नीति को अगले साल मार्च तक अंतिम रूप दिए जाने की संभावना है।