भारत में आने वाले वर्षों में मकानों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। यह बढ़ोतरी मुख्य रूप से अमीर व्यक्तियों की बढ़ती मांग के कारण होगी। हालांकि, जीवन यापन की बढ़ती लागत के चलते अधिकांश लोगों के लिए घर खरीदना अब एक सपना बनता जा रहा है। एक हालिया सर्वेक्षण में यह जानकारी सामने आई है।
जबकि देश का मध्यम वर्ग चाय और दोपहिया वाहन जैसी बुनियादी चीजों पर भी खर्च कम करने को मजबूर है, वहीं भारत के सबसे अमीर 1% लोग, जो देश की 40% संपत्ति के मालिक हैं, बड़े शहरों में उच्च वेतन वाली नौकरियों के चलते तेजी से घर खरीद रहे हैं।
अमीरों की मांग से कितना सहारा?
विश्लेषकों का मानना है कि हालांकि अल्पकाल में यह अमीरों की मांग मकान की कीमतों को सहारा दे सकती है, लेकिन धीमी पड़ती अर्थव्यवस्था में इसकी भी सीमाएं हैं। पिछले वर्ष भारत में मकानों की कीमतें 4.3% बढ़ीं, जबकि इस साल 7.0% और 2025 में 6.5% की बढ़ोतरी की उम्मीद है। 2026 में यह वृद्धि 7.5% तक पहुंच सकती है। यह आंकड़े 12 संपत्ति विशेषज्ञों के हालिया सर्वेक्षण से सामने आए हैं।
लग्ज़री घरों का बोलबाला
Colliers International के मूल्यांकन सेवा के प्रबंध निदेशक अजय शर्मा का कहना है, “कीमतों में हो रही इस बढ़ोतरी के पीछे लग्ज़री सेगमेंट का हाथ है। हालांकि यह कुछ समय तक जारी रहेगा, लेकिन असली मुद्दे पर कोई बात नहीं कर रहा। जब अमीर खरीदना बंद करेंगे, तो बिक्री में भारी गिरावट देखने को मिलेगी।”
किराए में होगी और तेजी
विशेषज्ञों का कहना है कि मकानों की कीमतों की तुलना में किराए और भी तेज़ी से बढ़ेंगे। अगले वर्ष किराए में 7.5% से 10% की बढ़ोतरी की संभावना है। Housing.com और PropTiger.com की शोध प्रमुख सुनीता मिश्रा का कहना है, “आवास की बढ़ती लागत लोगों को किराए के मकानों की ओर धकेल रही है, जिससे इस क्षेत्र में मांग बढ़ेगी।”
किफायती मकानों की कमी
हालांकि यह समस्या दुनिया के कई देशों में आम है, लेकिन भारत में यह चुनौती और बड़ी है, क्योंकि यहां 1.4 अरब से अधिक लोगों की आबादी है। नए प्रोजेक्ट्स का अधिकतर फोकस प्रीमियम और हाई-एंड सेगमेंट पर है, जिससे पहली बार घर खरीदने वालों के लिए मुश्किलें बढ़ रही हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर ब्याज दरों में कमी आती है, तो इससे घर खरीदने वालों को कुछ राहत मिल सकती है। लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक से अगले साल की शुरुआत तक केवल 50 बेसिस प्वाइंट तक की कटौती की ही उम्मीद है।
निष्कर्ष: अमीरों की बढ़ती मांग और लग्ज़री मकानों के निर्माण के चलते आने वाले वर्षों में घरों की कीमतें बढ़ती रहेंगी। हालांकि, महंगाई और किफायती मकानों की कमी मध्यम और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए चिंता का कारण बनी रहेगी।