भारत में 2016 में UPI के लॉन्च के बाद से लेन-देन के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आया है। कैशलेस पेमेंट अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। UPI की सफलता का ग्राफ लगातार ऊपर जा रहा है। FY25 की पहली छमाही में UPI ट्रांजेक्शन की वैल्यू 34.5% बढ़कर ₹122 लाख करोड़ हो गई, जो पिछले साल की समान अवधि में ₹90.7 लाख करोड़ थी। वॉल्यूम में भी 46% की वृद्धि दर्ज की गई और यह 8,566.52 करोड़ तक पहुंच गया।
लेकिन बढ़ती सुविधा के साथ धोखाधड़ी भी बढ़ी
हालांकि, डिजिटल भुगतान की इस सुविधा के साथ-साथ धोखाधड़ी के मामलों में भी इजाफा हुआ है। FY25 की पहली छमाही में ही UPI फ्रॉड के 6.32 लाख मामले सामने आए, जिनमें ₹485 करोड़ की धोखाधड़ी हुई। इसके मुकाबले, FY24 में 13.42 लाख मामले सामने आए थे, जिनकी कुल राशि ₹1,087 करोड़ थी। FY23 में यह आंकड़ा ₹573 करोड़ था।
सुरक्षा के लिए उठाए गए कदम
सरकार और संबंधित अधिकारियों ने बढ़ते धोखाधड़ी के मामलों को रोकने के लिए कई सुरक्षा उपाय किए हैं। इनमें पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स पर सख्त नियंत्रण, रियल-टाइम मॉनिटरिंग और जागरूकता अभियान शामिल हैं। हालांकि, डिजिटल भुगतान करने वाले यूजर्स की भी जिम्मेदारी है कि वे सतर्क रहें और सुरक्षा के उपाय अपनाएं।
UPI पेमेंट के सही तरीके को समझें:
UPI पेमेंट्स कैसे काम करते हैं, इसे समझना जरूरी है। भुगतान प्राप्त करने के लिए QR कोड स्कैन करने या UPI पिन दर्ज करने की जरूरत नहीं होती। केवल मोबाइल नंबर या VPA (वर्चुअल पेमेंट एड्रेस) साझा करने की आवश्यकता होती है।
डिजिटल ट्रांजेक्शन में सतर्कता बरतें:
भुगतान सुरक्षा के लिए कुछ महत्वपूर्ण उपाय अपनाएं:
- सुरक्षित नेटवर्क का इस्तेमाल करें: पब्लिक या असुरक्षित Wi-Fi नेटवर्क से पेमेंट न करें।
- सिर्फ वेरिफाइड ऐप्स डाउनलोड करें: निजी ऐप्स डाउनलोड करने से पहले उनकी प्रमाणिकता जांचें।
- अंजान लिंक पर क्लिक करने से बचें: अनजाने लिंक पर क्लिक न करें।
- UPI पिन और गोपनीय जानकारी साझा न करें: पिन, OTP और अन्य संवेदनशील जानकारी किसी से साझा न करें।
- बैंक के आधिकारिक नंबर पर ही संपर्क करें: किसी भी समस्या के लिए बैंक के आधिकारिक वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर ही कॉल करें।
फ्रॉड का शिकार होने पर क्या करें:
अगर आप धोखाधड़ी का शिकार हो जाएं, तो तुरंत ये कदम उठाएं:
- बैंक को तुरंत सूचित करें: जल्दी सूचना देने से पैसे की रिकवरी की संभावना बढ़ जाती है।
- शिकायत दर्ज करें: नेशनल साइबर क्राइम पोर्टल (cybercrime.gov.in) पर रिपोर्ट करें।
- चार्जबैक का दावा करें: अगर सेवाएं नहीं मिलीं तो बैंक या NPCI की शिकायत प्रक्रिया के तहत कार्रवाई करें।
- बैंकिंग लोकपाल से संपर्क करें: यदि बैंक की प्रतिक्रिया संतोषजनक न हो तो बैंकिंग लोकपाल से शिकायत करें।
डिवाइस की सुरक्षा:
अगर डिवाइस से समझौता होने का शक हो:
- अनजान ऐप्स को अनइंस्टॉल करें।
- प्रोफेशनल साइबर सुरक्षा मदद लें।
सतर्कता ही बचाव है:
डिजिटल लेन-देन की सुरक्षा के लिए सतर्कता जरूरी है। उपयोगकर्ता जितने अधिक सतर्क होंगे, धोखाधड़ी की संभावना उतनी ही कम होगी। जागरूकता, तकनीकी नवाचार और सतर्कता से ही डिजिटल वित्तीय प्रणाली की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।