प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड के दफ्तर से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, लग्जरी कारें, ₹31.22 करोड़ की फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और बैंक गारंटी (BG) जब्त की हैं। यह कार्रवाई ₹500 करोड़ से अधिक की कथित रियल एस्टेट धोखाधड़ी के सिलसिले में की गई है।
ED ने 25 नवंबर को दिल्ली-एनसीआर के 14 स्थानों पर छापेमारी की। एजेंसी ने मंगलवार को बताया कि जब्त की गई FD और BG ऑरिस समूह की कंपनियों के नाम पर थीं, जिन्हें अब सील कर दिया गया है।
बैंक खाते और लग्जरी कारें भी जब्त
कंपनी के प्रमोटरों के बैंक खातों और लॉकरों को भी सील कर दिया गया है। साथ ही, चार लग्जरी कारें – मर्सिडीज, पोर्श और बीएमडब्ल्यू मॉडल – एक प्रमोटर के आवास से जब्त की गई हैं।
यह कार्रवाई 25 नवंबर को मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत की गई थी। छापेमारी ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, इसके निदेशक विजय गुप्ता और अमित गुप्ता, तथा थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों और निदेशकों निर्मल सिंह उप्पल और विधुर भारद्वाज के खिलाफ की गई।
FIR के आधार पर जांच
ED की जांच दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज की गई दो FIR पर आधारित है। ये FIR होमबायर्स और निवेशकों की शिकायतों पर दर्ज की गई थीं। इसके बाद EOW ने मामले में चार्जशीट दाखिल की।
क्या है मामला?
ED के अनुसार, आरोपियों पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और सैकड़ों होमबायर्स के साथ ठगी के आरोप हैं। शिकायतों में दावा किया गया है कि ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड और थ्री सी शेल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड ने गुरुग्राम के सेक्टर 89 में ‘ग्रीनपोलिस’ नामक एक आवासीय परियोजना विकसित करने के लिए साझेदारी की थी।
ग्रीनपोलिस परियोजना 47 एकड़ जमीन पर आधारित है, जो ऑरिस समूह की है। इस परियोजना के विकास अधिकार थ्री सी शेल्टर्स को दिए गए थे।
ED का बयान
ED का आरोप है कि ऑरिस इंफ्रास्ट्रक्चर और थ्री सी शेल्टर्स के प्रमोटरों और निदेशकों ने होमबायर्स का पैसा गबन किया और समय पर परियोजना पूरी नहीं की। न तो घर खरीदारों को उनके फ्लैट मिले और न ही निवेशकों को उनका रिटर्न।
छापेमारी के दौरान एजेंसी ने फंड डाइवर्जन, संपत्ति स्वामित्व और वित्तीय लेयरिंग से जुड़े कई अहम दस्तावेज, बिक्री और पंजीकरण डीड्स, लैपटॉप और हार्ड ड्राइव जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण भी जब्त किए हैं।