विश्व बैंक की इंटरनेशनल डेब्ट रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में भारत का बाहरी कर्ज़ $31 अरब बढ़कर $646.79 अरब हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार, ब्याज भुगतान भी 2022 के $15.08 अरब से बढ़कर 2023 में $22.54 अरब हो गया। दीर्घकालिक कर्ज़ में 7% की वृद्धि हुई, जो $498 अरब तक पहुंच गया, जबकि अल्पकालिक कर्ज़ में मामूली गिरावट दर्ज की गई और यह $126.32 अरब रह गया।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि 2023 में निर्यात के प्रतिशत के रूप में बाहरी कर्ज़ का अनुपात 80% था, जबकि कर्ज़ सेवा अनुपात निर्यात का 10% रहा।
2024 की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष के दौरान कुल कर्ज़ प्रवाह $33.42 अरब रहा, जबकि इक्विटी प्रवाह $46.94 अरब तक पहुंच गया।
हालांकि, भारत ने पिछले कुछ वर्षों में पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार बनाया है, जो आर्थिक झटकों से निपटने के लिए एक मजबूत सुरक्षा कवच के रूप में काम करता है। वर्तमान में भारतीय रिज़र्व बैंक के पास $640 अरब से अधिक का विदेशी मुद्रा भंडार है।
सितंबर में विश्व बैंक ने अनुमान लगाया था कि वित्तीय वर्ष 2025 में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 7% पर बनी रहेगी, भले ही बाहरी वातावरण कमजोर हो और महामारी के बाद की रिकवरी प्रभाव खत्म हो चुके हों।
विशेष रूप से, भू-राजनीतिक तनावों के कारण वस्तुओं की कीमतों और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव बढ़ सकता है। इसके अलावा, पुनर्जीवित मुद्रास्फीति वैश्विक ब्याज दरों को लंबे समय तक ऊंचा बनाए रख सकती है।