नवंबर महीने में डीजल की खपत में तेज़ी देखी गई, जिसका मुख्य कारण त्योहारी सीजन और कृषि क्षेत्र से बढ़ी मांग रहा। हाल के महीनों में धीमी मांग के बाद यह बढ़ोतरी आर्थिक गतिविधियों में सुधार का संकेत देती है।
तेल मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, ट्रकों और वाणिज्यिक यात्री वाहनों में प्रमुख रूप से उपयोग होने वाले इस ईंधन की मांग नवंबर में पिछले महीने की तुलना में 6.8% बढ़कर 8,165 टन पर पहुंच गई। यह मांग पिछले वर्ष के इसी समय की तुलना में 8.5% अधिक रही।
पिछले कुछ महीनों में डीजल की मांग कम रही, जिसका मुख्य कारण भारी बारिश और धीमी आर्थिक वृद्धि रहा। सितंबर तिमाही में देश की जीडीपी वृद्धि सात तिमाही के निचले स्तर 5.4% तक गिर गई, जिससे डीजल की खपत प्रभावित हुई।
देश में उपभोक्ता पैटर्न में भी बदलाव देखा जा रहा है, जहां मध्यम वर्ग के विस्तार के साथ पेट्रोल की मांग डीजल की तुलना में तेज़ी से बढ़ रही है।
हालांकि, पेट्रोल की खपत नवंबर में पिछले महीने की तुलना में स्थिर रही, लेकिन सालाना आधार पर इसमें 9.5% की वृद्धि दर्ज की गई। वहीं, एविएशन टरबाइन फ्यूल (ATF) या जेट फ्यूल की खपत में नवंबर में पिछले महीने की तुलना में 1.1% की गिरावट आई।
ऊर्जा मांग में वृद्धि
वैकल्पिक ईंधनों पर बढ़ते फोकस के बावजूद, भारत की ऊर्जा मांग पूरी करने के लिए तेल पर निर्भरता आने वाले वर्षों में बनी रहने की संभावना है।
सरकार का कहना है कि 2030 तक भारत वैश्विक तेल मांग में वृद्धि का सबसे बड़ा स्रोत बन जाएगा, क्योंकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं और चीन में वृद्धि धीमी हो जाएगी और फिर घटने लगेगी।
सरकार की इंडियन ऑयल मार्केट आउटलुक टू 2030 रिपोर्ट के अनुसार, विशाल औद्योगिक विस्तार डीजल की मजबूत मांग में परिवर्तित होगा, जो देश की मांग में लगभग आधे और 2030 तक वैश्विक तेल मांग वृद्धि में एक-छठे हिस्से का योगदान देगा।
S&P ग्लोबल कमोडिटी इनसाइट्स के एक विश्लेषण के अनुसार, 2035 तक भारत की पेट्रोलियम उत्पादों की मांग लगभग 20 लाख बैरल प्रतिदिन (bpd) तक बढ़ने का अनुमान है।