स्विट्जरलैंड ने भारत को 30 वर्षों से दिए जा रहे ‘सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र’ (Most Favoured Nation) का दर्जा वापस ले लिया है। इस कदम से स्विट्जरलैंड में काम कर रहीं भारतीय कंपनियों को जनवरी से अधिक कर चुकाना होगा। यह निर्णय नेस्ले के खिलाफ आए एक प्रतिकूल अदालती आदेश के बाद लिया गया है।
स्विट्जरलैंड का यह कदम 2023 में नेस्ले एस.ए. से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आया है। इस आदेश में कहा गया था कि स्विट्जरलैंड द्वारा भारतीय संस्थाओं पर लाभांश (dividends) पर कर दर में कटौती का लाभ भारत को तभी मिलेगा, जब भारत इसके लिए विशेष सरकारी अधिसूचना जारी करेगा।
11 दिसंबर को स्विट्जरलैंड द्वारा लिया गया यह फैसला भारतीय निवेशों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। 1 जनवरी 2025 से स्विट्जरलैंड से भारतीय निवासियों और भारत से स्विस निवासियों को मिलने वाले लाभांश पर 10% की मूल कर दर लागू होगी।
“इस निलंबन से स्विट्जरलैंड में काम कर रहीं भारतीय कंपनियों की कर देनदारी बढ़ सकती है,” कहा नंगिया एंडरसन के एम एंड ए टैक्स पार्टनर संदीप झुनझुनवाला ने।
ईवाई इंडिया के नेशनल टैक्स लीडर समीर गुप्ता के अनुसार, “जब भारत इस संबंध में आवश्यक अधिसूचना जारी करेगा, तब स्विट्जरलैंड इस संधि के प्रावधान को फिर से सक्रिय कर सकता है, जिससे करदाताओं को MFN क्लॉज के तहत दिए गए लाभ का फायदा मिल सके।”
1994 में भारत और स्विट्जरलैंड ने आय पर दोहरे कराधान से बचने के लिए एक समझौते (Double Taxation Avoidance Agreement – DTAA) पर हस्ताक्षर किए थे। ऐसे समझौते इसलिए किए जाते हैं ताकि एक ही आय पर दो देशों में कर का भार न पड़े।
लक्ष्मीकुमारन एंड श्रीधरन अटॉर्नीज़ के अनुसार, “भारत द्वारा विकसित देशों के साथ किए गए DTAAs में कर रियायतों के अलावा ‘सर्वाधिक वरीयता प्राप्त राष्ट्र’ (MFN) खंड भी शामिल होता है, जिससे इन देशों के निवासियों को किसी तीसरे देश को दी गई अतिरिक्त कर रियायत का लाभ मिलता है।”
स्विट्जरलैंड के साथ इस मूल समझौते को 2010 में संशोधित किया गया था, जिसमें MFN खंड जोड़ा गया। इसके अनुसार, यदि भारत OECD (Organisation for Economic Cooperation and Development) के किसी सदस्य राज्य के साथ लाभांश पर कर दर कम करता है, तो वही दर स्विट्जरलैंड पर भी लागू होगी।
2020 तक लिथुआनिया और कोलंबिया के OECD में शामिल होने के बाद, स्विट्जरलैंड ने MFN खंड की व्याख्या करते हुए भारतीय संस्थाओं के लिए लाभांश पर कर दर 10% से घटाकर 5% कर दी। हालांकि, भारत ने स्विस संस्थाओं के लिए ऐसी कोई छूट नहीं दी।