Accenture द्वारा पदोन्नतियों को स्थगित करने का निर्णय उस समय आया है जब पेशेवर सेवा उद्योग कठिन दौर से गुजर रहा है। इसके कॉर्पोरेट ग्राहक आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते अपने खर्चों में कटौती कर रहे हैं। Accenture अकेली कंपनी नहीं है जिसने कर्मचारियों से जुड़े ऐसे बदलाव किए हैं। McKinsey, Ernst & Young और PricewaterhouseCoopers जैसी बड़ी परामर्श कंपनियों ने भी अपने कर्मचारियों की संख्या घटाई है। हालांकि, ऑटोमेशन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) परियोजनाओं की बढ़ती मांग ने उद्योग पर कुछ दबाव को कम किया है।
सोमवार को Citi के विश्लेषकों ने निवेशकों को एक नोट में बताया कि Accenture के समक्ष 2024 के शेष वर्ष के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें आर्थिक परिस्थितियाँ, लगातार बढ़ती महंगाई और चुनावी माहौल शामिल हैं। हालांकि, इन मुद्दों से कंपनी की वृद्धि पर असर पड़ सकता है और 2025 की भविष्यवाणियों में कुछ अनिश्चितता हो सकती है। फिर भी, Citi ने Accenture के शेयरों पर “खरीदें” की रेटिंग बरकरार रखी और इसके लक्ष्य मूल्य को $350 से बढ़ाकर $405 कर दिया।
Accenture जैसी बड़ी कंपनियों को जब अपने कर्मचारियों को पदोन्नति देने में देरी करनी पड़े, तो इसका मतलब साफ है कि हालात गंभीर हैं। सवाल यह है कि आर्थिक अनिश्चितताओं के इस दौर में, जिनसे ये दिग्गज खुद नहीं बच पा रहे, क्या छोटे व्यवसायों और कर्मचारियों की स्थिति और अधिक विकट होने वाली है? या फिर AI और ऑटोमेशन जैसी परियोजनाओं के नाम पर अब बस ज़्यादा से ज़्यादा काम कम वेतन में कराने का एक और बहाना बना लिया गया है?