टाटा समूह के स्वामित्व वाली एयर इंडिया के कुछ कर्मचारी, विशेषकर पायलट, रिटायरमेंट उम्र सीमा को लेकर नाखुश हैं, क्योंकि विस्तारा में उनके समकक्ष कर्मचारियों के लिए यह उम्र सीमा अलग है। ख़बर एजेंसी पीटीआई के अनुसार, प्रबंधन ने अभी तक इस मुद्दे को हल नहीं किया है, जिससे विस्तारा के साथ एयर इंडिया के प्रस्तावित विलय से पहले कर्मचारियों में असंतोष बढ़ रहा है।
वर्तमान में एयर इंडिया में पायलट और अन्य कर्मचारियों के लिए रिटायरमेंट उम्र सीमा 58 वर्ष है, जबकि विस्तारा में यह सीमा 60 वर्ष रखी गई है। टाटा समूह और सिंगापुर एयरलाइंस के संयुक्त स्वामित्व वाली विस्तारा का विलय एयर इंडिया के साथ 11 नवंबर को होने वाला है। टाटा समूह का यह कदम उसके एविएशन व्यापार को समेकित करने की रणनीति का हिस्सा है।
सूत्रों ने पीटीआई को बताया कि प्रस्तावित संयुक्त इकाई के लिए एक समान रिटायरमेंट उम्र सीमा तय करने पर अभी तक प्रबंधन ने कोई निर्णय नहीं लिया है।
एक सूत्र ने बताया, “विलय प्रक्रिया के हिस्से के रूप में प्रबंधन ने दोनों एयरलाइनों के कर्मचारियों के वेतन ढांचे और अन्य कार्य शर्तों में समानता लाने में तो तेजी दिखाई, लेकिन अलग-अलग रिटायरमेंट उम्र सीमा के मुद्दे को अब तक अनदेखा किया गया है। इससे एयर इंडिया के पायलटों में व्यापक असंतोष है, जो विस्तारा विलय के पहले ही एक बड़ा मुद्दा बन गया है।”
दोनों एयरलाइनों की अलग-अलग रिटायरमेंट उम्र सीमा का मतलब है कि विस्तारा के पायलटों को एयर इंडिया के पायलटों की तुलना में दो साल अधिक सेवा का लाभ मिल रहा है। नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए के नियमों के अनुसार, पायलट 65 वर्ष की उम्र तक सेवा दे सकते हैं।
वहीं एयर इंडिया ने अब तक कर्मचारियों की चिंताओं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। सूत्रों ने एयरलाइन से अपील की है कि वह इस विसंगति को दूर करने के लिए अपने कर्मचारियों की रिटायरमेंट उम्र सीमा को विस्तारा के बराबर करने पर विचार करे।
“एयर इंडिया के पायलटों के लिए विलय की प्रक्रिया में पहले ही एक कच्चा सौदा बन गया है, जहां कई पायलट वरिष्ठता सूची में विस्तारा के पायलटों के मुकाबले कनिष्ठ बन गए हैं, भले ही उनका अनुभव और सेवा के वर्ष अधिक रहे हों,” सूत्र ने बताया।
गौरतलब है कि अगस्त में एयर इंडिया ने कुछ चुनिंदा पायलटों को रिटायरमेंट के बाद पाँच वर्ष के अनुबंध पर बनाए रखने की नई नीति की घोषणा की थी, जिसमें अनुबंध को 65 वर्ष की उम्र तक बढ़ाने का प्रावधान था।