भारत की प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) की जांच में पाया गया है कि खाद्य वितरण कंपनियां Zomato और Swiggy (जिसे सॉफ्टबैंक ने वित्तीय सहयोग दिया है) ने प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन किया है। दस्तावेज़ों से यह खुलासा हुआ है कि इनके व्यापारिक कार्यों में कुछ चुनिंदा रेस्त्रां को फायदा पहुँचाने के लिए उनकी सूची को प्राथमिकता दी गई है।
सीसीआई के गोपनीय दस्तावेज़ों के अनुसार, Zomato ने “विशेष अनुबंध” किए, जिनमें पार्टनर्स से कम कमीशन के बदले विशिष्टता की शर्त पर सहमति ली गई। वहीं, Swiggy ने अपने प्लेटफ़ॉर्म पर चुनिंदा रेस्त्रां को कारोबार वृद्धि की गारंटी दी, यदि वे केवल उसी पर सूचीबद्ध रहें। सीसीआई की जांच शाखा ने अपने निष्कर्ष में कहा कि Swiggy और Zomato की इन विशिष्टता संबंधी व्यवस्थाओं ने बाजार में प्रतिस्पर्धा की संभावनाओं को कमजोर किया है।
प्रतिस्पर्धा विरोधी इन कार्यों के खिलाफ राष्ट्रीय रेस्त्रां संघ की शिकायत के बाद 2022 में Swiggy और Zomato के खिलाफ यह जाँच शुरू हुई। सीसीआई के ये दस्तावेज़ सार्वजनिक नहीं हैं और Swiggy, Zomato तथा शिकायतकर्ता रेस्त्रां समूह के साथ मार्च 2024 में ही साझा किए गए थे। इन निष्कर्षों की अब तक रिपोर्टिंग नहीं हुई थी।
Zomato ने इस मामले में टिप्पणी से इनकार कर दिया, जबकि Swiggy और सीसीआई ने रॉयटर्स के प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया। इस रिपोर्ट के बाद Zomato के शेयरों में 3% की गिरावट दर्ज की गई, जो कि पहले सपाट थे। Swiggy के IPO में भी इस केस को “आंतरिक जोखिम” के रूप में चिन्हित किया गया है, जिसमें लिखा गया है कि “प्रतिस्पर्धा अधिनियम के प्रावधानों का किसी भी तरह का उल्लंघन भारी वित्तीय दंड आकर्षित कर सकता है।”
जांच में यह भी पाया गया कि Swiggy ने अपने “Swiggy एक्सक्लूसिव” प्रोग्राम को 2023 में समाप्त कर दिया, लेकिन कंपनी गैर-मेट्रोपॉलिटन शहरों में एक नया प्रोग्राम “Swiggy Grow” शुरू करने की योजना बना रही है।
हाल के वर्षों में, Swiggy और Zomato ने भारत में खाद्य वितरण की परिभाषा बदल दी है, खासकर स्मार्टफोन के बढ़ते उपयोग और ऑनलाइन ऑर्डरिंग के साथ। हालाँकि, सीसीआई के दस्तावेज़ यह बताते हैं कि इन्होंने रेस्त्रां को अन्य ऑनलाइन प्लेटफार्मों पर कम कीमतों की पेशकश करने से भी रोका, जिससे बाज़ार में प्रतिस्पर्धा घट गई। Zomato ने कुछ रेस्त्रां पार्टनर्स पर मूल्य निर्धारण और छूट के प्रतिबंध भी लगाए, और यदि रेस्त्रां इन शर्तों का पालन नहीं करते तो उन पर “दंडात्मक प्रावधान” भी लागू किया गया।
जाँच दस्तावेज़ों में यह भी कहा गया है कि Swiggy ने अपने कुछ रेस्त्रां पार्टनर्स को धमकी दी कि यदि वे मूल्य समानता नहीं बनाए रखते हैं, तो उनकी रैंकिंग नीचे कर दी जाएगी। क्या वास्तव में ये बड़ी कंपनियाँ अपने प्लेटफ़ॉर्म को एकतरफा शर्तों का अड्डा बना रही हैं, जहाँ ग्राहक की पसंद से ज़्यादा रेस्त्रां का दबदबा बनता है? इस तरह के नियमों के बीच क्या ये कंपनियाँ ग्राहकों की सहूलियत के लिए काम कर रही हैं या अपने पार्टनर्स के हित साधने में लगी हैं?
सीसीआई मामले का अंतिम चरण इसके नेतृत्व का निर्णय है, जो अब इन जांच निष्कर्षों की समीक्षा कर रहा है ताकि Swiggy और Zomato के व्यापारिक प्रथाओं में बदलाव के आदेश या दंड का निर्णय किया जा सके। यह निर्णय आने में कुछ सप्ताह लग सकते हैं, और कंपनियों के पास सीसीआई के निष्कर्षों को चुनौती देने का विकल्प अब भी है।
2021 में सूचीबद्ध हुए Zomato के शेयरों की मांग में तेजी से उछाल आया है और इसका मूल्यांकन लगभग 27 बिलियन डॉलर तक पहुँच गया है। वहीं, Swiggy अपने IPO में 11.3 बिलियन डॉलर के मूल्यांकन का दावा कर रहा है। Macquarie Capital का अनुमान है कि Swiggy का खाद्य आदेश मूल्य 2024-25 में लगभग 3.3 बिलियन डॉलर होगा, जो कि Zomato से करीब 25% कम है। दोनों कंपनियाँ अब तेजी से ऐसे क्षेत्र में भी कदम रख रही हैं, जहाँ किराने का सामान मात्र 10 मिनट में डिलीवर किया जा सके।
पिछले महीने भारत के सबसे बड़े खुदरा वितरक समूह ने सीसीआई से Swiggy, Zomato और अन्य प्रतिद्वंद्वी Zepto की क्विक कॉमर्स सेवाओं की जाँच की माँग की थी, जिसमें कथित शिकार मूल्य निर्धारण के आरोप लगाए गए थे।