भारतपे के सह-संस्थापक और पूर्व प्रबंध निदेशक अशनीर ग्रोवर ने राष्ट्रीय कंपनी कानून न्यायाधिकरण (NCLT) से अपनी याचिका वापस ले ली है, जिसमें उन्होंने कंपनी के बोर्ड पर उत्पीड़न और कुप्रबंधन का आरोप लगाया था।
यह कदम 30 सितंबर, 2024 को ग्रोवर द्वारा कंपनी के साथ एक समझौता करने के बाद उठाया गया है।
अशनीर ग्रोवर और भारतपे के बोर्ड के बीच क्या हुआ था?
मार्च 2022 में भारतपे के बोर्ड द्वारा अशनीर ग्रोवर को कंपनी के प्रबंध निदेशक के पद से हटा दिया गया था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच कानूनी विवाद चल रहे थे।
समझौते के बाद, 17 अक्टूबर, 2024 को, ग्रोवर ने NCLAT से भी अपनी याचिका वापस ले ली, जिसमें उन्होंने NCLT मामले की जल्द सुनवाई की मांग की थी। उन्होंने खुद को प्रबंध निदेशक के पद पर पुनः बहाल करने और कंपनी के बोर्ड में किए गए बदलावों को “अवैध” घोषित करने की मांग की थी। ये बदलाव Resilient Innovations Pvt Ltd, जो ‘भारतपे’ के नाम से कारोबार करता है, के बोर्ड में किए गए थे।
ग्रोवर ने NCLT से यह भी अनुरोध किया था कि वह कंपनी का निरीक्षण और ऑडिट करवाने के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय को आदेश दे और उनकी पत्नी माधुरी जैन की कंपनी के बोर्ड द्वारा की गई समाप्ति को रद्द करे।
हालांकि, समझौते के तहत ग्रोवर अब किसी भी रूप में कंपनी से जुड़े नहीं रहेंगे और न ही वे कंपनी के शेयरधारकों में होंगे। रिपोर्ट के अनुसार, उनके कुछ शेयर Resilient Growth Trust को स्थानांतरित कर दिए जाएंगे जो कंपनी के हित में होंगे, और शेष शेयर उनके पारिवारिक ट्रस्ट द्वारा प्रबंधित किए जाएंगे।