वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 3 दिसंबर को लोकसभा में बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक पेश किया, जिसमें ग्राहकों की सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि इस विधेयक में 19 संशोधन प्रस्तावित हैं, जो रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934; बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949; भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955; बैंकिंग कंपनियों (उपक्रमों का अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980 में बदलाव लाएंगे।
निर्मला सीतारमण ने कहा, “इन प्रस्तावित संशोधनों से बैंकिंग क्षेत्र में शासन मजबूत होगा और निवेशकों की सुरक्षा के साथ-साथ नामांकन की सुविधा भी बढ़ेगी।”
मुख्य बिंदु:
- चार नामांकित व्यक्तियों की अनुमति:
प्रस्ताव के अनुसार, बैंक खाता धारक अपने खाते में चार नामांकित व्यक्ति जोड़ सकेंगे। - निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष में स्थानांतरण:
बिना दावा किए गए डिविडेंड, शेयर, ब्याज या बांड की मूल राशि को Investor Education and Protection Fund (IEPF) में स्थानांतरित करने का प्रावधान है। ग्राहक इस कोष से अपना पैसा वापस पाने का दावा कर सकते हैं। - शासन और रिपोर्टिंग सुधार:
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में शासन के मानकों में सुधार, रिज़र्व बैंक को रिपोर्टिंग में समानता लाना, जमाकर्ताओं और निवेशकों की बेहतर सुरक्षा और नामांकन के संदर्भ में ग्राहक सुविधा बढ़ाने के लिए प्रावधान किए गए हैं। - सांविधिक लेखा परीक्षकों का वेतन:
बैंक अब अपने सांविधिक लेखा परीक्षकों के वेतन का निर्धारण स्वतंत्र रूप से कर सकेंगे। - ‘महत्वपूर्ण हिस्सेदारी’ की परिभाषा में बदलाव:
निदेशक पद के लिए ‘महत्वपूर्ण हिस्सेदारी’ की सीमा को ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ करने का प्रस्ताव है, जो लगभग छह दशक पहले निर्धारित की गई थी। - सहकारी बैंकों में निदेशकों का कार्यकाल:
सहकारी बैंकों में निदेशकों (अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक को छोड़कर) का कार्यकाल बढ़ाकर 8 साल से 10 साल करने का प्रावधान है, ताकि इसे संविधान (97वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुरूप बनाया जा सके। - नए रिपोर्टिंग तिथियों का निर्धारण:
बैंकों के लिए नियामक अनुपालन की रिपोर्टिंग तिथियों को दूसरे और चौथे शुक्रवार से बदलकर हर महीने की 15 और अंतिम तारीख करने का प्रस्ताव है।
यह विधेयक पारित होने के बाद, केंद्रीय सहकारी बैंक का कोई निदेशक राज्य सहकारी बैंक के बोर्ड में भी कार्य कर सकेगा।
सीतारमण ने इस विधेयक का जिक्र अपने जुलाई के बजट भाषण में किया था, जिसका उद्देश्य बैंकिंग शासन में सुधार और निवेशकों की सुरक्षा बढ़ाना है।