पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने 12 दिसंबर को घोषणा की कि उनकी पार्टी फरवरी 2025 में होने वाले आगामी चुनावों में सत्ता में वापस आने पर “मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना” के तहत योग्य महिलाओं को 2100 रुपये प्रति माह प्रदान करेगी।
अगर सरकार इस योजना को लागू करती है, तो इससे वित्तीय वर्ष 2026 में बजट पर 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा, जो सब्सिडी के मौजूदा बिल को लगभग दोगुना कर देगा। सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025 के बजट में महिलाओं को 1000 रुपये प्रति माह की सहायता प्रदान करने का प्रावधान किया है, जिसके लिए 2,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया था। हालांकि, इस नई योजना से सहायता राशि में भारी वृद्धि होगी, जिससे खर्च में तेज़ी आने की संभावना है।
दिल्ली सरकार के एक विभाग द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, राज्य में सहायता की आवश्यकता वाली महिलाओं की संख्या 38 लाख आंकी गई है। 2100 रुपये प्रति माह की नकद सहायता पर 9,576 करोड़ रुपये खर्च होंगे, जो प्रशासनिक खर्चों को जोड़ने पर और बढ़ सकता है। सवाल यह है कि क्या दिल्ली सरकार इसे वहन कर सकती है?
इस योजना से राज्य की सब्सिडी का बिल काफी बढ़ने की उम्मीद है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024 के संशोधित अनुमान में सब्सिडी का खर्च 10,995 करोड़ रुपये बताया गया था।
यह योजना राज्य को राजस्व घाटे में भी धकेल सकती है।
वित्तीय वर्ष 2024 में दिल्ली का राजस्व अधिशेष 4,966 करोड़ रुपये था, जो वित्तीय वर्ष 2023 में 14,457 करोड़ रुपये से काफी कम है। यह अधिशेष और घटकर वित्तीय वर्ष 2025 में 3,231 करोड़ रुपये रह जाने की संभावना है। इस गति से, अगर 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च हुआ, तो वित्तीय वर्ष 2026 में अधिशेष घाटे में बदल सकता है।
यह 10,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त खर्च, अगर इसे अन्य मदों के खर्च में कटौती या कर वृद्धि से पूरा नहीं किया गया, तो घाटा 1.5 गुना बढ़ सकता है और राज्य के कुल बजट का लगभग 13 प्रतिशत हो सकता है।
यह राशि वित्तीय वर्ष 2024 के परिवहन बजट के बराबर है और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर होने वाले खर्च से अधिक है।
यह राज्य के शिक्षा बजट (लगभग 16,000 करोड़ रुपये) के 62 प्रतिशत के बराबर है और वित्तीय वर्ष 2025 के पूंजीगत व्यय के मुकाबले 1.7 गुना अधिक है।
राज्य सरकार ने पूंजीगत परियोजनाओं पर 5,919 करोड़ रुपये खर्च करने का प्रस्ताव रखा है, जबकि पिछले वित्तीय वर्ष में यह 8,338 करोड़ रुपये था।
यह योजना महिलाओं के लिए आर्थिक सुरक्षा का बड़ा वादा तो करती है, लेकिन सवाल यह है कि दिल्ली का बजट इस बोझ को सह पाएगा या नहीं।