इस वर्ष दिवाली के दौरान कारों की बिक्री में इतनी बड़ी गिरावट आई है कि डीलर 80-85 दिनों के रिकॉर्ड-तोड़ इन्वेंटरी दबाव का सामना कर रहे हैं। पूरे देश में कुल 7.90 लाख कारों की इन्वेंटरी है, जिसकी अनुमानित कीमत ₹79,000 करोड़ तक पहुंच गई है। इस अभूतपूर्व स्थिति का सामना खासकर देश की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों, जैसे मारुति सुजुकी और हुंडई के डीलरों को करना पड़ रहा है, जबकि निसान और सिट्रोन जैसी अन्य कंपनियों का भी स्टॉक जमा हो रहा है।
यह हालात इस कारण भी बने हैं क्योंकि कम बिक्री के बावजूद वाहन निर्माताओं ने आक्रामक तरीके से कारों की डिलीवरी जारी रखी। फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन (FADA) के आंकड़ों के अनुसार, इस वर्ष बिक्री में 18.81% की गिरावट दर्ज की गई है। मई से ही कारों की बिक्री में धीमापन देखा गया है, जिससे इन्वेंटरी का दबाव लगातार बढ़ता जा रहा है।
रोचक बात यह है कि ₹10-25 लाख की रेंज वाली कारों की बिक्री में भी गिरावट देखने को मिली है, जबकि महामारी के बाद यही सेगमेंट बिक्री वृद्धि का प्रमुख कारण रहा था।
वहीं, एक्सट्रीम वेदर पैटर्न्स को भी कार खरीदारों द्वारा खरीद टालने का एक कारण माना जा रहा है। इस साल असामान्य रूप से गर्मियों के बाद भारी मानसून का भी प्रभाव पड़ा है। इसके साथ ही, नया मॉडल खरीदने की मांग में वृद्धि हुई है, जैसे मारुति सुजुकी फ्रोंक्स और हाल ही में लॉन्च हुई टाटा कर्व जैसी कारें इस मंदी से ज्यादा प्रभावित नहीं हुई हैं।