चीन से महंगे फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान, गैजेट्स और लेदर उत्पादों का आयात करने वाली कंपनियाँ अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच के घेरे में आ गई हैं। आर्थिक खुफिया एजेंसी ने इन कंपनियों पर मनी लॉन्ड्रिंग और विदेशी मुद्रा नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, यह जानकारी मामले से जुड़े लोगों ने दी है।
इन कंपनियों पर आरोप है कि वे आयात किए गए सामान का “अंडर-इनवॉयसिंग” कर रही हैं ताकि टैक्स से बचा जा सके। इसके बाद बाकी बची हुई राशि चीन में स्थित विक्रेता को हवाला नेटवर्क के माध्यम से भेजी जाती है। प्रवर्तन निदेशालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि, “हमने मनी लॉन्ड्रिंग निरोधक अधिनियम के तहत हवाला नेटवर्क के खिलाफ जांच शुरू की है, जिसमें कई आयातकों द्वारा इन रास्तों का इस्तेमाल किए जाने के सबूत मिले हैं।”
प्रारंभिक अनुमान के अनुसार, पिछले छह महीनों में भारतीय आयातकों द्वारा 50,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि चीनी विक्रेताओं को भेजी गई है।
हवाला लेनदेन एक अनौपचारिक तरीका है जिसमें पैसे का भौतिक रूप से हस्तांतरण नहीं होता। दिलचस्प बात यह है कि शेष राशि मुख्य रूप से क्रिप्टोकरेंसी और नकद भुगतान के जरिए भेजी गई है।
जांच अभी चल रही है, इसलिए प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारी ने विस्तृत जानकारी देने से इनकार कर दिया, लेकिन यह संकेत दिया कि एजेंसी बड़े-बड़े सेक्टरों की कुछ प्रमुख कंपनियों की अवैध रास्तों का इस्तेमाल करने वाली गतिविधियों पर खुफिया जानकारी के आधार पर काम कर रही है।