भारती एंटरप्राइजेज के चेयरमैन सुनील भारती मित्तल ने हाल ही में एनडीटीवी वर्ल्ड समिट में एआई से जुड़े एक चौंकाने वाले ठगी के अनुभव को साझा किया। ठगों ने उनकी आवाज़ को क्लोन कर, दुबई में उनके एक वरिष्ठ अधिकारी से बड़ी धनराशि ट्रांसफर करवाने की कोशिश की। जिस तकनीक का उपयोग मित्तल की आवाज़ की नकल करने में हुआ, वह इतनी उन्नत थी कि मित्तल खुद भी उस रिकॉर्डिंग को सुनकर हैरान रह गए। सौभाग्य से, वह अधिकारी सतर्क थे और उन्होंने तुरंत ठगी को पहचान लिया, जिससे भारी वित्तीय नुकसान होने से बच गया।
एआई के जरिए सुनील मित्तल की आवाज़ की क्लोनिंग: खतरे की घंटी
यह घटना इस बात पर ज़ोर देती है कि आज के डिजिटल युग में एआई-संचालित ठगी का ख़तरा तेजी से बढ़ रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की प्रगति के साथ, अब साइबर अपराधी आवाज़ों की क्लोनिंग, डीपफेक वीडियो बनाने, और एआई उपकरणों का उपयोग करके व्यक्तियों और संगठनों को वित्तीय नुकसान पहुंचाने के लिए लोगों को धोखा दे रहे हैं।
एआई के गलत उपयोग से होने वाला खतरा
मित्तल के अनुभव से यह साफ़ होता है कि साइबर अपराधियों द्वारा एआई के दुरुपयोग से बड़ा ख़तरा उत्पन्न हो सकता है। एआई उपकरणों की सहायता से अपराधी अब इतनी सटीकता से व्यक्तियों की नकल कर सकते हैं कि अज्ञानी पीड़ित आसानी से ठगी के जाल में फंस सकते हैं। ठग एआई का उपयोग करके आवाज़ की नकल करते हैं या वास्तविक लगने वाले वीडियो डीपफेक बनाते हैं, जिससे लोग धन ट्रांसफर कर देते हैं या संवेदनशील जानकारी साझा कर बैठते हैं।
मित्तल ने बताया कि उनके अधिकारी ने यदि सतर्कता नहीं दिखाई होती तो यह ठगी सफल हो सकती थी। यह दर्शाता है कि जैसे-जैसे एआई-संचालित ठगी और उन्नत होती जा रही है, व्यवसायों और व्यक्तियों को अधिक सतर्क होने की आवश्यकता है।
एआई के लाभ और जोखिमों में संतुलन की ज़रूरत
मित्तल ने एआई के दुरुपयोग पर चिंता जताई, लेकिन साथ ही यह भी स्वीकार किया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के माध्यम से उद्योगों में क्रांतिकारी बदलाव लाने, नवाचार को बढ़ावा देने और वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं को सशक्त बनाने की अपार संभावनाएं हैं। उन्होंने कहा कि एआई के लाभों का उपयोग करते हुए हमें समाज को इसके खतरों से सुरक्षित रखना होगा।
मित्तल ने कहा, “हमें एआई की बुराइयों से अपने समाजों की रक्षा करनी होगी, और साथ ही हमें इसके अच्छे पक्षों का उपयोग भी करना होगा।” यह बयान एआई तकनीक की दोहरी प्रकृति को रेखांकित करता है।
एआई-संचालित ठगी का बढ़ता ख़तरा
एआई द्वारा संचालित ठगी अब और भी आम हो रही है, जिसमें साइबर अपराधी आवाज़ की क्लोनिंग और डीपफेक तकनीकों का उपयोग कर जटिल ठगी कर रहे हैं। चाहे परिवार के सदस्यों की नकल करना हो या नकली डिजिटल माहौल तैयार करना, इन ठगियों का पता लगाना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। कई बड़े व्यवसायी पहले ही एआई-संचालित ठगी का शिकार हो चुके हैं, जिससे व्यवसायों को अधिक सतर्क रहने और इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए सख्त सुरक्षा उपाय लागू करने की आवश्यकता बढ़ गई है।