गूगल ने भारत में प्रतिस्पर्धा कानून के उल्लंघन के मामले में एक निपटान प्रस्ताव पेश किया है। यह प्रस्ताव उस जांच के बाद आया है, जिसमें यह पाया गया कि गूगल ने स्मार्ट टीवी निर्माताओं के साथ किए गए अपने समझौतों के जरिए प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन किया है।
अगर यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया जाता है, तो अमेरिकी टेक्नोलॉजी दिग्गज गूगल भारत के प्रतिस्पर्धा कानून के तहत हाल ही में शुरू किए गए निपटान तंत्र का इस्तेमाल करने वाली पहली कंपनी होगी।
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) गूगल के निपटान आवेदन की समीक्षा कर रहा है और जल्द ही इस पर निर्णय की उम्मीद है।
गौरतलब है कि गूगल के खिलाफ प्रतिस्पर्धी व्यवहार के मामले की जांच के बाद निदेशक जनरल ने पुष्टि की कि गूगल ने एंड्रॉइड टीवी बाजार में प्रतिस्पर्धी विरोधी गतिविधियों को अंजाम दिया है। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि गूगल ने प्रतिस्पर्धा-विरोधी समझौतों में संलिप्त होकर और अपने बाजार प्रभुत्व का दुरुपयोग करते हुए प्रतिस्पर्धा कानून का उल्लंघन किया है।
संशोधित प्रतिस्पर्धा कानून के अनुसार, निपटान और प्रतिबद्धता योजना कंपनियों को नियामक चिंताओं को स्वेच्छा से हल करने या कम जुर्माने के साथ निपटने की अनुमति देती है।
भारत के दो महत्वपूर्ण कानून—डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट और डिजिटल प्रतिस्पर्धा कानून—जल्द लागू होने की कगार पर हैं, जिससे गूगल पर और भी दबाव बढ़ने वाला है, विशेष रूप से प्रस्तावित प्रतिस्पर्धा विधेयक के तहत।
ऑनलाइन विज्ञापन और सर्च क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा-विरोधी प्रथाओं के लिए डिजिटल इंडिया फाउंडेशन (ADIF) ने गूगल के खिलाफ CCI में शिकायत दर्ज की थी। यह शिकायत गूगल पर लगातार किए जा रहे दंडात्मक कार्रवाइयों की श्रृंखला का हिस्सा है, जिनमें एंड्रॉइड इकोसिस्टम और ऐप बिलिंग सिस्टम में अपने प्रभुत्व का दुरुपयोग करना शामिल है।
अब गूगल जैसे ‘तकनीकी दिग्गज’ भी भारत के कानूनों के आगे झुकते दिख रहे हैं। शायद अमेरिकी बाजार में बिना किसी रुकावट के चलते रहने की आदत अब यहां काम नहीं आ रही है? और जब जुर्माना देने की नौबत आई, तो आखिरकार निपटान का रास्ता ही क्यों चुना? क्या गूगल को अब भारत के सख्त कानूनों की अहमियत समझ में आ गई है?