केंद्र सरकार ने किसानों के जीवन और उनकी आजीविका को बेहतर बनाने के लिए 13,966 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं, जिसमें से डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन को प्रमुख रूप से 2,817 करोड़ रुपये की राशि दी गई है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोमवार को एक प्रेस वार्ता में बताया कि यह प्रस्ताव कृषि क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई आधुनिक, तकनीकी-प्रेरित उपायों के तहत लाया गया है।
डिजिटल एग्रीकल्चर मिशन के अंतर्गत ‘एग्री स्टैक’ और ‘कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली’ (Krishi Decision Support System) जैसे पहल शामिल हैं। एग्री स्टैक के तहत किसानों का पंजीकरण, गांवों के भूमि मानचित्र और फसल के रजिस्टर बनाए जाएंगे। वहीं, कृषि निर्णय समर्थन प्रणाली के अंतर्गत भू-स्थानिक डेटा, सूखा/बाढ़ की निगरानी, मौसम और उपग्रह डेटा, भूजल और जल उपलब्धता डेटा, तथा फसल उपज और बीमा के लिए मॉडलिंग की जाएगी।
इस मिशन का लक्ष्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता और बिग डेटा जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके खेती को क्रांतिकारी बदलावों के साथ जोड़ना है। इसमें डिजिटल मृदा प्रोफाइल, फसल का अनुमान और उपज मॉडलिंग, कृषि ऋण को सरल बनाना और किसानों को खरीदारों से जोड़ना शामिल है।
आश्चर्य की बात यह है कि सरकार द्वारा इतने महत्वपूर्ण मुद्दों पर बड़ी राशि आवंटित की जा रही है, लेकिन क्या यह राशि सही तरीके से किसानों तक पहुंचेगी या फिर यह भी सिर्फ कागज़ों पर रह जाएगी, यह बड़ा सवाल है। डिजिटल खेती में करोड़ों खर्च करना एक अच्छी बात हो सकती है, लेकिन क्या बिना जमीनी हकीकत देखे इसे लागू करना वास्तव में किसानों के जीवन में कोई ठोस सुधार लाएगा? इसके प्रभाव को मापने के लिए क्या कोई निगरानी प्रणाली तैयार की गई है या यह सिर्फ एक और सरकारी पहल की तरह समय के साथ धुंधली हो जाएगी?
बाकी छह योजनाओं की घोषणा भी की गई है, जो इस प्रकार हैं:
◆ खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए फसल विज्ञान: इस पहल के लिए 3,949 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य किसानों को जलवायु लचीलापन प्रदान करना और 2047 तक खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है। इसमें अनुसंधान और शिक्षा, पौधों के आनुवंशिक संसाधनों का प्रबंधन, खाद्य और चारे की फसल में आनुवांशिक सुधार, दलहन और तिलहन की फसलों में सुधार और वाणिज्यिक फसलों पर अनुसंधान आदि शामिल हैं।
◆ कृषि शिक्षा, प्रबंधन और सामाजिक विज्ञान का सुदृढ़ीकरण: इस योजना के तहत 2,291 करोड़ रुपये का प्रावधान है, जिसका उद्देश्य कृषि छात्रों और शोधकर्ताओं को वर्तमान चुनौतियों के लिए तैयार करना है। यह योजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के तहत है और नई शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप है।
◆ सतत पशुधन स्वास्थ्य और उत्पादन: इसके तहत 1,702 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जिसका उद्देश्य पशुधन और डेयरी उत्पादन से किसानों की आय बढ़ाना है। इसमें पशु स्वास्थ्य प्रबंधन, पशु आनुवंशिक संसाधन प्रबंधन और पशु पोषण शामिल हैं।
◆ बागवानी का सतत विकास: इसके लिए 860 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसका उद्देश्य बागवानी फसलों से किसानों की आय बढ़ाना है।
◆ कृषि विज्ञान केंद्र का सुदृढ़ीकरण: इसके तहत 1,202 करोड़ रुपये की योजना बनाई गई है।
◆ प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन: इस योजना के लिए 1,115 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है।
इन सभी योजनाओं का उद्देश्य कृषि प्रक्रियाओं को आधुनिक बनाना, शिक्षा को बेहतर बनाना और कृषि क्षेत्र में स्थिरता सुनिश्चित करना है।