सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) और स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के लिए मुख्य बैटरी घटकों के उत्पादन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ₹9,000 करोड़ की योजना पर विचार कर रही है। यह योजना भारी उद्योग मंत्रालय के नेतृत्व में तैयार हो रही है, जिसमें हितधारकों के साथ परामर्श किया जा चुका है। अन्य मंत्रालयों के साथ आगे की बातचीत भी जल्द होने की संभावना है।
इस योजना का उद्देश्य इलेक्ट्रोड, एनोड, कैथोड, इलेक्ट्रोलाइट और कॉपर फॉयल जैसे महत्वपूर्ण घटकों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करना है, जिनमें भारी पूंजी निवेश और अनुसंधान एवं विकास (R&D) की आवश्यकता होती है। रिपोर्ट के अनुसार, रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंडाल्को और ओला इलेक्ट्रिक जैसी प्रमुख कंपनियों ने शुरुआती चर्चाओं में भाग लिया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह पहल देश में बड़े निवेश को आकर्षित कर सकती है, आयात पर निर्भरता कम कर सकती है और भारत को बैटरी उत्पादन में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकती है।
बैटरी की लागत इलेक्ट्रिक वाहनों की कुल लागत का 40 प्रतिशत होती है। अगर इनका उत्पादन स्थानीय स्तर पर किया जाता है, तो लागत कम हो सकती है, जिससे EVs की कीमतें घटेंगी और वे पारंपरिक वाहनों के मुकाबले अधिक किफायती और प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं। यह योजना भारत की हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रोलाइज़र उत्पादन में अग्रणी बनने की व्यापक महत्वाकांक्षाओं के साथ भी मेल खाती है।
अनुमानों के मुताबिक, 2030 तक भारत में एनोड की मांग में वृद्धि होगी, क्योंकि तब तक लिथियम-आयन बैटरियों की मांग 260 गीगावाट घंटे (GWh) तक पहुंचने की उम्मीद है।
यह प्रस्तावित योजना 2021 में स्वीकृत ₹18,100 करोड़ की उन्नत रसायन कोशिका (ACC) बैटरी के लिए उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना का विस्तार है। इस योजना के तहत 40 GWh की क्षमता पहले ही ओला इलेक्ट्रिक और रिलायंस इंडस्ट्रीज जैसी प्रमुख कंपनियों को आवंटित की जा चुकी है।