भारत ने इंटरनेट एड्रेस के क्षेत्रीय प्रबंधन और वितरण से जुड़े इंटरनेट कॉर्पोरेशन फॉर असाइंड नेम्स एंड नंबर्स (ICANN) के प्रस्तावित नियमों को चुनौती दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) ने इन नियमों में सुधार की आवश्यकता पर बल देते हुए फैसलों में निष्पक्षता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की मांग की है। यह विरोध महत्वपूर्ण है, क्योंकि भारत दुनिया के सबसे बड़े इंटरनेट बाजारों में से एक है।
ICANN इंटरनेट के संचालन में एक अहम भूमिका निभाता है और डोमेन नाम और आईपी एड्रेस जैसे अद्वितीय पहचानकर्ताओं के वैश्विक समन्वय का प्रबंधन करता है। अक्टूबर 2024 में, ICANN ने अपनी “इंटरनेट कोऑर्डिनेशन पॉलिसी 2 (ICP-2)” पर हितधारकों की राय मांगी थी। यह नीति नए क्षेत्रीय इंटरनेट रजिस्ट्रियों (RIR) को मान्यता देने और मौजूदा RIR के प्रबंधन के मानदंड तय करती है।
विवादित प्रस्ताव:
ICP-2 नीति में एक विवादास्पद प्रावधान है, जिसमें नंबर रिसोर्स ऑर्गनाइजेशन-एक्जीक्यूटिव काउंसिल (NRO EC) को महत्वपूर्ण अधिकार दिए गए हैं। यह काउंसिल, जिसमें मौजूदा पांच RIR शामिल हैं, नए RIR को मान्यता देने या हटाने का प्रस्ताव ICANN के पास रख सकती है। MeitY ने इस ढांचे का विरोध करते हुए कहा, “सिर्फ मौजूदा RIR और NRO EC को निर्णय लेने का अधिकार देना पक्षपातपूर्ण हो सकता है, क्योंकि मौजूदा RIR नए प्रवेशकों को सीमित करने में रुचि रख सकते हैं।”
बहु-हितधारक दृष्टिकोण की सिफारिश:
आईटी मंत्रालय ने नए RIR की मान्यता के लिए एक व्यापक बहु-हितधारक दृष्टिकोण अपनाने पर जोर दिया। मंत्रालय ने सुझाव दिया कि ICANN, NRO EC की बजाय, अपनी व्यापक समुदाय के माध्यम से एक मूल्यांकन प्रक्रिया विकसित करे। MeitY ने कहा, “हम सुझाव देते हैं कि उम्मीदवार RIR के मूल्यांकन प्रक्रिया के लिए [पॉलिसी डेवलपमेंट प्रोसेस] के जरिए ICANN समुदाय को शामिल किया जाए।”
इसके अलावा, MeitY ने ICANN के भीतर एक स्वतंत्र निकाय के गठन का प्रस्ताव दिया, जो नए RIR प्रस्तावों का मूल्यांकन कर सके। मंत्रालय ने इसे पारदर्शिता और संतुलन को बढ़ावा देने के लिए जरूरी बताया।
पुनर्परिभाषित क्षेत्रों पर विवाद:
MeitY ने ICP-2 के उन प्रावधानों पर भी आपत्ति जताई, जो RIR की सेवा क्षेत्रों को ओवरलैपिंग से रोकते हैं। मंत्रालय का कहना है कि यह सिद्धांत वैश्विक इंटरनेट जरूरतों की जटिलताओं को नजरअंदाज करता है। MeitY ने कहा, “मौजूदा सिद्धांत यह नहीं मानता कि पांच मौजूदा RIR पहले से ही अधिकांश क्षेत्रों को कवर कर चुके हैं, जिससे नए RIR के लिए नए क्षेत्रों में सेवाएं देना मुश्किल हो जाता है।”
मंत्रालय ने क्षेत्रों को फिर से परिभाषित करने का प्रस्ताव दिया, जिसमें भाषाई और सांस्कृतिक संबंध, साझा आर्थिक हित और बड़ी इंटरनेट आबादी की जरूरतों जैसे पहलुओं पर ध्यान दिया जाए।
अधिकार वापसी प्रक्रिया में सुधार:
MeitY ने ICP-2 में संशोधन के लिए मौजूदा RIR की सर्वसम्मति की अनिवार्यता पर आपत्ति जताई। मंत्रालय ने कहा, “ICP-2 में संशोधन RIR के परामर्श से होना चाहिए, लेकिन उनकी सहमति अनिवार्य नहीं होनी चाहिए। इससे यह सुनिश्चित होगा कि सभी RIR चर्चा में शामिल हों, लेकिन आवश्यक परिवर्तनों पर किसी एक RIR का वीटो न हो।”
इसके अतिरिक्त, MeitY ने अधिकार वापसी की प्रक्रिया में स्वतंत्र निरीक्षण की आवश्यकता बताई, ताकि निष्पक्षता सुनिश्चित हो सके।
भारत के इस विरोध ने ICANN की मौजूदा नीति ढांचे में कई सवाल खड़े कर दिए हैं और वैश्विक इंटरनेट प्रबंधन में सुधार की दिशा में कदम उठाने पर जोर दिया है।