भारतीय कंपनियाँ अपने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) निवेश का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रारंभिक प्रयोगों से आगे बढ़ रही हैं। “एपीएसी एआई आउटलुक 2025” रिपोर्ट, जो इंटरनेशनल बिजनेस मशीन (IBM) द्वारा कमीशन की गई है, में यह जानकारी सामने आई है।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में कई प्रतिभागी मानते हैं कि AI लंबे समय में नवाचार (26%), राजस्व वृद्धि (21%), लागत बचत (12%) और कर्मचारियों की उत्पादकता में सुधार (12%) जैसे क्षेत्रों में लाभ प्रदान करेगा।
IBM इंडिया और साउथ एशिया के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप पटेल ने कहा, “2025 में AI भारतीय कंपनियों के लिए गेम-चेंजर साबित होगा, जिससे उत्पादकता में क्रांतिकारी बदलाव आएगा और अभूतपूर्व स्तर पर विस्तार की संभावनाएँ बनेंगी।”
उन्होंने यह भी कहा, “एक विकसित भारत की परिकल्पना के तहत, हमारा ध्यान AI का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करके वास्तविक व्यावसायिक मूल्यों को प्राप्त करने पर होगा। यह केवल कम जोखिम वाले प्रयोगों तक सीमित न रहकर, रणनीतिक पहलों पर केंद्रित होगा, जो प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और बेहतर निवेश रिटर्न प्रदान करेंगी। इसके अलावा, छोटे, उच्च-प्रदर्शन AI मॉडल की बढ़ती भूमिका दक्षता को पुनः परिभाषित करेगी, जो बड़ी लागत पर चलने वाले मॉडलों की तुलना में कम खर्च पर टास्क-विशिष्ट परिणाम प्रदान करेंगे।”
IBM की रिपोर्ट में और क्या भविष्यवाणियाँ की गईं?
2025 में, भारतीय संगठनों का मुख्य ध्यान ग्राहक अनुभव को बेहतर बनाने (27%), योजना और रणनीति (16%), और आईटी कार्यों के अनुकूलन (16%) पर होगा। इन लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए, उन्हें डेटा की पहुंच (46%), सीमित AI कौशल (42%), और एकीकरण एवं स्केलिंग से जुड़ी समस्याओं (38%) जैसी चुनौतियों का सामना करना होगा।
सफलता का राज़ लागत-प्रभावी AI समाधानों के विकास में है, जो कस्टम-बिल्ट ओपन-सोर्स मॉडलों के उपयोग और विभिन्न विक्रेताओं के बीच सहज एकीकरण की सुविधा प्रदान करें।
जनरेटिव AI परियोजनाओं पर प्रारंभिक अल्पकालिक लाभों पर ध्यान केंद्रित करना अब AI की गहरी संभावनाओं की समझ में बदल रहा है। कंपनियाँ अब गैर-कोर अनुप्रयोगों के बजाय कोर व्यावसायिक कार्यों में जनरेटिव AI को लागू कर रही हैं, ताकि प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त और बेहतर निवेश रिटर्न प्राप्त किया जा सके।
एशिया-प्रशांत क्षेत्र में लगभग 60% संगठन अगले दो से पाँच वर्षों के भीतर अपने AI निवेश के लाभों की उम्मीद कर रहे हैं, जबकि केवल 11% ही अगले दो वर्षों में रिटर्न की अपेक्षा रखते हैं।
एपीएसी AI आउटलुक 2025 की प्रमुख रणनीतिक प्रवृत्तियाँ
- रणनीतिक AI: 2025 में संगठनों द्वारा ऐसे AI प्रोजेक्ट अपनाए जाएँगे, जो व्यावसायिक रूप से प्रभावी और संभव हों। यह बदलाव अल्पकालिक सफलता और दीर्घकालिक AI रणनीतियों के संतुलन को दर्शाता है।
- कस्टम AI मॉडल: स्थानीय भाषाओं, क्षेत्रीय संदर्भों और सरल कम्प्यूटेशनल कार्यों के लिए उपयुक्त AI मॉडल लोकप्रिय होंगे। ये बड़े मॉडलों की तुलना में कम डेटा की आवश्यकता के साथ छोटे कार्बन फुटप्रिंट उत्पन्न करेंगे।
- ओपन-सोर्स AI: एशिया-प्रशांत क्षेत्र में ओपन-सोर्स AI मॉडलों को तेजी से अपनाया जाएगा, जिससे नवाचार और दक्षता को बढ़ावा मिलेगा।
- एजेंटिक AI: AI एजेंट्स द्वारा संचालित वर्कफ़्लो संगठनों में स्वायत्त कार्य और मानव कर्मचारियों के साथ सहयोग में वृद्धि करेंगे।
- ह्यूमन-सेंट्रिक AI: भविष्य में AI का ध्यान उत्पादकता टूल्स से हटकर मानवीय क्षमताओं और अनुभवों को बेहतर बनाने पर होगा। इससे कर्मचारी रचनात्मकता और नवाचार में अवसर प्राप्त करेंगे।
निष्कर्ष: AI के उपयोग को व्यापक और प्रभावी बनाने के लिए कंपनियों को दीर्घकालिक रणनीतियों और नैतिक दिशानिर्देशों का पालन करना होगा। यह रिपोर्ट AI को अपनाने की दिशा में महत्वपूर्ण अंतर्दृष्टियाँ और जोखिम प्रबंधन का खाका पेश करती है।