अक्टूबर 2024 में भारत की बिजली खपत में पिछले साल की तुलना में लगभग एक प्रतिशत की मामूली बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो इस महीने 140.47 अरब यूनिट (BU) तक पहुंची। इस मामूली बढ़ोतरी का मुख्य कारण भारी आधार प्रभाव (base effect) को माना जा रहा है।
पिछले साल अक्टूबर में बिजली खपत में 22 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई थी, जो 113.94 BU से बढ़कर 139.44 BU हो गई थी। हालांकि, अक्टूबर 2024 में एक दिन की अधिकतम आपूर्ति (पीक पावर डिमांड मीट) घटकर 219.22 गीगावॉट (GW) रह गई, जो पिछले साल इसी महीने 221.53 GW थी।
गौरतलब है कि मई 2024 में अधिकतम पावर डिमांड लगभग 250 GW के ऐतिहासिक स्तर तक पहुंची थी, जबकि सितंबर 2023 में यह 243.27 GW दर्ज की गई थी। साल के शुरुआत में बिजली मंत्रालय ने मई महीने में दिन में 235 GW और शाम को 225 GW की पावर डिमांड का अनुमान लगाया था, जबकि जून में दिन में 240 GW और शाम को 235 GW का अनुमान था। इसके साथ ही मंत्रालय ने इस साल गर्मी के दौरान पावर डिमांड के 260 GW तक पहुंचने की संभावना जताई थी।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अक्टूबर 2024 कई दशकों में सबसे गर्म महीना रहा। विशेषज्ञों का मानना है कि इस उच्च आधार प्रभाव के कारण बिजली की मांग और खपत में मामूली बढ़ोतरी हुई है। इसके अतिरिक्त, अक्टूबर महीने में पीक पावर डिमांड में आई गिरावट इस बात का भी संकेत है कि उत्तर भारत में सर्दियों का आगमन हो चुका है, जहां एयर कंडीशनर और कूलर जैसे ठंडक प्रदान करने वाले उपकरणों का उपयोग सामान्यतः गर्मियों में अधिक होता है और सर्दियों में इसकी मांग में गिरावट आती है।
बावजूद इसके, विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में बिजली की मांग और खपत मजबूत वाणिज्यिक और औद्योगिक गतिविधियों के चलते स्थिर बनी रहेगी।