औद्योगिक संगठनों ने वित्त मंत्रालय से आगामी केंद्रीय बजट में टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (TDS) दरों को सरल बनाने की माँग की है। यह माँग मुख्य रूप से करदाताओं पर अनुपालन का बोझ कम करने और मुकदमों से बचने के उद्देश्य से की गई है। आगामी बजट फरवरी में प्रस्तुत किया जाएगा। औद्योगिक संगठनों ने तर्क दिया है कि वर्तमान TDS दरों में सरलता से उद्योग जगत की नकद प्रवाह समस्याओं का समाधान हो सकेगा और सरकार को रिफंड पर ब्याज चुकाने की बाध्यता से भी मुक्ति मिलेगी।
TDS दरों के सरलीकरण की आवश्यकता क्यों?
आयकर अधिनियम के तहत वर्तमान में निवासियों के लिए कुल 37 प्रकार के भुगतान पर TDS दरें निर्धारित हैं, जो कि 0.1% से 30% तक होती हैं। इससे अक्सर भुगतान की श्रेणी और व्याख्या पर विवाद उत्पन्न होते हैं। इस जटिलता के कारण उद्योग में नकद प्रवाह अवरुद्ध हो जाता है, जिससे विवाद उत्पन्न होते हैं और सरकार को भी ब्याज सहित रिफंड देने की नौबत आती है।
औद्योगिक संगठनों के सुझाव क्या हैं?
एक रिपोर्ट के अनुसार, FICCI ने वित्त मंत्रालय के सामने यह सुझाव रखा है कि TDS दरों में तीन स्तर के ढाँचे को अपनाया जाए – वेतन पर स्लैब दर के अनुसार, लॉटरी/ऑनलाइन गेम्स आदि पर अधिकतम दर से, और विभिन्न श्रेणियों के लिए दो मानक दरें। वर्तमान में सरकार ने वित्त अधिनियम (संख्या 2) 2024 के माध्यम से कई भुगतान की TDS दरों को 5% से घटाकर 2% कर दिया है, जिसे उद्योग ने सकारात्मक कदम बताया है।
CII ने भी इसी तरह का प्रस्ताव रखते हुए कहा कि भुगतान के प्रकारों को दो से तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है और एक ‘निगेटिव लिस्ट’ बनाई जा सकती है, जिन पर TDS लागू नहीं होगा। इसके अनुसार, वेतनभोगी वर्ग के लिए TDS सामान्य दरों के अनुसार हो सकता है, जबकि लॉटरी और घुड़दौड़ पर इसे 30% तक रखा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, जहाँ TDS दर 5% से कम है, वहाँ इसे जारी रखा जाए, जबकि अन्य सभी भुगतान 2-4% की दर पर टैक्स किए जा सकते हैं। वरिष्ठ नागरिकों और चैरिटेबल संस्थानों को छूट सूची में शामिल करने का भी सुझाव दिया गया है।
FICCI ने एक स्वतंत्र विवाद समाधान मंच की स्थापना की भी वकालत की है, जिसमें विशेषज्ञों की भागीदारी हो। रिपोर्ट के अनुसार, “स्वतंत्र मंच द्वारा समयबद्ध समाधान से करदाताओं में विश्वास बढ़ेगा और वे मुकदमों से बचने के बजाय विवादों को सुलझाने के लिए आगे आएंगे। इससे लंबित मुकदमों में कमी आएगी और विवादों के कारण रोकी गई माँग/रिफंड प्रक्रिया में भी सुधार होगा।”
PHD चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने भी सुरक्षा लेन-देन कर को समाप्त करने की माँग की है।