भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में इंग्लैंड के बैंक से 102 टन सोना सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर लिया है। यह जानकारी 30 अक्टूबर को सामने आई है। यह इस वर्ष मई के बाद दूसरी बार है जब केंद्रीय बैंक ने लंदन के भूमिगत तिजोरियों से पीला धातु वापस लाने का फैसला किया है। बढ़ती वैश्विक तनावों के कारण RBI ने इस कदम को अंजाम दिया। मई में रिपोर्ट के अनुसार, बैंक ने इंग्लैंड से करीब 100 मिलियन टन सोना वापस लाने का निर्णय लिया था, और आगे भी ऐसी कई ट्रांसफर की योजना बनाई गई थी।
रिपोर्ट के अनुसार, RBI के पास कुल 855 टन सोना है, जिसमें से लगभग 510.5 टन देश में ही रखा गया है। विदेशी मुद्रा भंडार प्रबंधन पर जारी नवीनतम रिपोर्ट के मुताबिक, 2022 से अब तक लगभग 214 टन सोना देश में स्थानांतरित किया गया है, क्योंकि वैश्विक चिंताओं के चलते RBI और सरकार असमंजस में हैं। उच्च अधिकारियों का मानना है कि कीमती धातु को देश में रखना सुरक्षित है।
कहा जा रहा है कि यह 1990 के दशक के बाद का सबसे बड़ा सोने का स्थानांतरण है, जब भुगतान संतुलन संकट के कारण सोना विदेश भेजा गया था। अब सवाल यह उठता है कि क्या सच में ‘सोना वापसी’ मिशन इतनी सरलता से हो गया? आखिर क्या था इसका मकसद और इसमें क्या जोखिम थे?
इस अभियान को RBI और सरकार ने संयुक्त रूप से अंजाम दिया। विशेष विमानों और कड़े सुरक्षा इंतजामों के साथ सोना स्थानांतरित किया गया। सरकार का कहना है कि भविष्य में भी इसी तरह के और भी ट्रांसफर संभव हैं।
भारत के पास वर्तमान में बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स में कुल 324 टन सोना मौजूद है, जिसमें से लगभग 20 टन सोना जमा स्वरूप में रखा गया है। इन बैंकों में से अधिकांश सोना ब्रिटेन में स्थित है। बैंक ऑफ इंग्लैंड की वेबसाइट के अनुसार, इस केंद्रीय बैंक के पास नौ भूमिगत तिजोरियों में लगभग 5,350 टन (लगभग 400,000 बार) सोना रखा हुआ है, जो यूनाइटेड किंगडम और विश्व के अन्य केंद्रीय बैंकों के भंडार को संरक्षित करता है। बैंक की लंदन स्थित मुख्यालय की तिजोरियां पहली बार 1697 में विकसित हुई थीं और समय-समय पर इन्हें विस्तार दिया गया है।