कर्नाटक राज्य सरकार स्वच्छ गतिशीलता (क्लीन मोबिलिटी) क्षेत्र में काम कर रही कंपनियों के लिए करों में कटौती और वित्तीय प्रोत्साहन देने की योजना बना रही है। इसमें हाइब्रिड कारों के लिए एक भारी कर कटौती का प्रस्ताव है, जो टोयोटा जैसी कंपनियों के लिए एक बड़ा बढ़ावा साबित हो सकता है। यह जानकारी राज्य सरकार के एक दस्तावेज़ के मसौदे से प्राप्त हुई है।
जहां एक ओर भारत ने इलेक्ट्रिक कारों के लिए छूट पर ध्यान केंद्रित किया है, वहीं कर्नाटक का यह कदम इसे उत्तर प्रदेश के बाद दूसरा राज्य बना सकता है, जो हाइब्रिड कारों पर टैक्स छूट प्रदान करेगा। ज्ञात हो कि टोयोटा ने नई दिल्ली में हाइब्रिड कारों के लिए जोरदार पैरवी की है।
कर्नाटक, जो देश में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की बिक्री में तीसरे स्थान पर है, ने $30,000 से कम कीमत वाली हाइब्रिड कारों पर रोड टैक्स और पंजीकरण शुल्क को खत्म करने की योजना बनाई है। फिलहाल, इन पर 13% से 18% तक का कर लगता है। मसौदे के अनुसार, राज्य का उद्देश्य “स्वच्छ गतिशीलता वाहन अपनाने” को बढ़ावा देना है, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन, कुछ हाइब्रिड और हाइड्रोजन आधारित वाहन शामिल हैं। हालांकि, इस नीति के अंतिम रूप और सार्वजनिक घोषणा के लिए कोई समयसीमा तय नहीं की गई है।
राज्य के परिवहन विभाग ने इस संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है।
टोयोटा की यह पहल अन्य कंपनियों जैसे टाटा मोटर्स और महिंद्रा एंड महिंद्रा की योजनाओं से विपरीत है, जो केवल ईवी पर ध्यान केंद्रित रखना चाहती हैं। उनका मानना है कि हाइब्रिड वाहनों के लिए प्रोत्साहन देना, भारत के ईवी को अपनाने के लक्ष्य को नुकसान पहुंचा सकता है।
राज्य में रोड और पंजीकरण कर, केंद्रीय बिक्री कर के अतिरिक्त वसूले जाते हैं, जो ईवी के लिए 5% और हाइब्रिड वाहनों के लिए 43% तक होता है।
इसके अतिरिक्त, कर्नाटक सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों या उनके घटकों के निर्माताओं को पूंजी निवेश पर 25% तक प्रोत्साहन देने की भी योजना बना रही है। यह प्रोत्साहन निवेश के आकार और रोजगार के अवसरों के आधार पर भिन्न होगा।
मसौदा यह भी दिखाता है कि कर्नाटक राज्य कंपनियों द्वारा स्थिर परिसंपत्तियों (जैसे भूमि और मशीनरी) में किए गए निवेश के आधार पर 15% से 25% तक का वित्तीय प्रोत्साहन दे सकता है। यह प्रोत्साहन बैटरी घटकों और ईवी चार्जिंग उपकरणों के निर्माताओं पर भी लागू होगा।
राज्य सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह एक स्वच्छ गतिशीलता नीति के माध्यम से $6 बिलियन तक के नए निवेश जुटाने की योजना बना रही है, लेकिन अभी तक अन्य विवरण सार्वजनिक नहीं किए गए हैं।
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग को बढ़ावा देने और प्रदूषण को कम करने की दिशा में विभिन्न राज्य आपस में प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। वहीं, देश के ईंधन आयात बिल को कम करने के लिए भी यह एक प्रमुख पहल मानी जा रही है।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में भारत में कुल 4.2 मिलियन कारों की बिक्री हुई, जिनमें से हाइब्रिड और ईवी की संख्या 100,000 से भी कम थी। भारत का लक्ष्य 2030 तक नई कारों की बिक्री में 30% हिस्सा पूरी तरह से इलेक्ट्रिक वाहनों का रखना है।