मंगलवार को लोकसभा ने बैंकिंग कानूनों में संशोधन करते हुए खाताधारकों को अपने खातों के लिए चार उत्तराधिकारियों को नामित करने की अनुमति देने वाला बिल पारित किया। यह नामांकन एक साथ या क्रमिक रूप से किया जा सकेगा, जिससे बैंक जमा की उत्तराधिकार प्रक्रिया सरल और स्पष्ट हो जाएगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में चर्चा के दौरान कहा कि बैंकिंग कानून (संशोधन) विधेयक, 2024 के माध्यम से पांच मौजूदा कानूनों में 19 संशोधन प्रस्तावित हैं। इन संशोधनों का उद्देश्य बैंकों के नियमन, लेखा परीक्षा की गुणवत्ता और अनुपालन को बेहतर बनाना है। यह सहकारी बैंकों सहित सभी बैंकों पर लागू होगा जो बैंकिंग सेवाएं प्रदान करते हैं।
सीतारमण ने कहा, “प्रस्तावित संशोधन भारतीय बैंकिंग क्षेत्र में शासन को मजबूत करने के साथ उपभोक्ताओं और निवेशकों की सुरक्षा तथा नामांकन के मामले में ग्राहकों की सुविधा बढ़ाएंगे।”
बहु-नामांकन की सुविधा
इस विधेयक में बहु-नामांकन की सुविधा देने का प्रावधान है, ताकि खाताधारक की मृत्यु के बाद जमा राशि अविभाजित न रह जाए। वित्त मंत्री ने बताया कि वर्तमान कानून में केवल एक व्यक्ति को नामांकित करने की अनुमति है। नए प्रावधानों के तहत खाताधारक चार लोगों को नामित कर सकेंगे।
हालांकि, उन्होंने स्पष्ट किया कि सेफ कस्टडी या लॉकर में रखे सामान के लिए केवल क्रमिक नामांकन की अनुमति होगी। उन्होंने कहा, “क्रमिक नामांकन सुनिश्चित करेगा कि यदि पहला नामित व्यक्ति अनुपलब्ध हो, तो अगला उत्तराधिकारी सक्रिय हो जाएगा। इससे कानूनी उत्तराधिकारियों के लिए जटिलता कम होगी।”
अन्य प्रमुख संशोधन
बिल में कई अन्य महत्वपूर्ण संशोधन भी शामिल हैं:
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934,
- बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949,
- भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955,
- बैंकिंग कंपनियां (अधिग्रहण और उपक्रम का हस्तांतरण) अधिनियम, 1970 और 1980।
वित्त मंत्री ने बताया कि बैंकिंग विनियमन अधिनियम में “पर्याप्त हित” की नई परिभाषा दी गई है, जिसमें हिस्सेदारी की सीमा ₹5 लाख से बढ़ाकर ₹2 करोड़ कर दी गई है। यह बदलाव वर्तमान मूल्य के अनुसार किया गया है, क्योंकि ₹5 लाख की सीमा 1968 में तय की गई थी।
सहकारी बैंकों के निदेशकों का कार्यकाल आठ साल से बढ़ाकर दस साल करने का भी प्रावधान किया गया है। इसके अलावा, केंद्रीय सहकारी बैंकों के निदेशकों को राज्य सहकारी बैंकों के बोर्ड में शामिल होने की अनुमति दी गई है।
बैंकों की स्थिरता पर जोर
वित्त मंत्री ने कहा कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली वैश्विक बैंकों की तुलना में अधिक मजबूत है। उन्होंने कहा, “2014 से हम सुनिश्चित कर रहे हैं कि बैंक स्थिर रहें। आज हमारे बैंक पेशेवर तरीके से संचालित हो रहे हैं, जो एक राष्ट्रीय उपलब्धि है।”
विधेयक में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को लेखा परीक्षकों के पारिश्रमिक तय करने का अधिकार भी दिया गया है। साथ ही, निवेशक शिक्षा और संरक्षण कोष में अव्यवहित लाभांश और बांड के रिफंड की प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए प्रावधान जोड़े गए हैं।
यह विधेयक लोकसभा में 9 अगस्त को पेश किया गया था और मंगलवार को पारित किया गया।